- कालाजार मरीजों की पहचान के लिए आशा कर्मियों को मिला प्रशिक्षण
- जिले में लगातार कम हो रहे कालाजार के मामले
- सभी प्रखंड़ों के कुल 800 आशा कर्मी को दिया जाएगा प्रशिक्षण
- आशा कर्मियों द्वारा एमडीए कार्यक्रम के लिए भी लोगों को किया जाएगा जागरूक
- लक्षणों के आधार पर चिह्नित किए जाएंगे कालाजार के मरीज
कटिहार: जिले को कालाजार बीमारी से मुक्त करने को लेकर विभागीय प्रयास लगातार जारी है। इस कड़ी में कालाजार के संभावित मरीजों की खोज के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा और जिले के कालाजार प्रभावित गांवों में आशा कर्मी घर-घर पहुंचकर मरीजों की खोज करेंगी। इसके साथ ही आशा कर्मी द्वारा कालाजार रोग से संबंधी लक्षण पाये जाने पर जरूरी जांच और समुचित इलाज के लिए लोगों को प्रेरित किया जायेगा। इसके लिए जिले के सदर अस्पताल में 19 से 25 जनवरी तक अलग -अलग बैच के द्वारा सभी प्रखंड के आशा कर्मियों को प्रशिक्षिण दिया जा रहा है। इस दौरान जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जे. पी. सिंह, भीडीसीओ एन के मिश्रा, डब्ल्यूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. दिलीप कुमार, पिरामल फाउंडेशन एसडीडी अभिमन्यु चौधरी, पीसीआई डीसी शरणम शेखर के साथ प्रखंड भीबीडीएस और आशा कर्मी उपस्थित हो रहे हैं।
- जिले में लगातार कम हो रहे कालाजार के मामले :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जेपी सिंह ने बताया कि जिले में कालाजार के मामलों में निरंतर गिरावट जारी है। वर्ष 2022 में जिले में वीएल व पीकेडीएल के बहुत मरीज मिले थे जिनकी समय से पहचान कर उन्हें उपचार उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी कालाजार के पहचान के लिए जागरूक किया गया है। जिससे कि लोग समय से इसका इलाज करा सकें। इसके कारण वर्ष 2023 में कालाजार मरीजों की संख्या में गिरावट दर्ज किया गया है। वर्ष 2023 में वीएल (विसीरल लिस्मानियासिस) के 10 और पीकेडीएल (डरमल लिस्नमानियासिस) के 04 मरीज मिले हैं। उन्होंने कहा कि जिले को पूरी तरह कालाजार मुक्त बनाने का विभागीय प्रयास जारी है। इसके लिए सभी प्रखंडों के कालाजार संभावित क्षेत्र और उसके आसपास के आशा कर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के उपरांत आशा कर्मियों द्वारा 20 जनवरी से 31 जनवरी तक घर-घर जाकर कालाजार के संभावित मरीजों को चिह्नित करेंगी। ताकि जरूरी जांच के उपरांत उनका समुचित इलाज सुनिश्चित कराया जा सके।
- आशा कर्मियों द्वारा एमडीए कार्यक्रम के लिए भी लोगों को किया जाएगा जागरूक :
डॉ. जे. पी. सिंह ने बताया कि आशा कर्मियों द्वारा कालाजार मरीजों की पहचान के साथ साथ 10 फरवरी से शुरू हो रहे सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के लिए भी जागरूक किया जाएगा। लोगों को बताया जाएगा कि एमडीए कार्यक्रम के दौरान आशा कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों (गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को छोड़कर) को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। इसके इस्तेमाल करने से लोग फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।
- सभी प्रखंड़ों के कुल 800 आशा कर्मी को दिया जाएगा प्रशिक्षण :
भीडीसीओ एन के मिश्रा ने बताया की रोगी खोज अभियान जिले के सभी प्रखंडों में संचालित किया जायेगा। इसके लिये जिले के सभी प्रखंड के कालाजार संभावित क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्र के कुल 800 आशा कार्यकर्ताओं को खास तौर पर प्रशिक्षित दिय जा रहा है। आशा फैसिलेटर द्वारा आशा कर्मियों के किए जा रहे कार्यों पर नजर रखेंगी। वहीं संबंधित प्रखंड के भीबीडीसी रोग का सत्यापन करते हुए रोगियों की जरूरी जांच सुनिश्चित करायेंगे। प्रखंड सामुदायिक समन्वयक रोगी खोज अभियान से संबंधित सभी गतिविधियों की मॉनेटरिंग करेंगे। साथ ही इससे संबंधित रिपोर्ट जिला को उपलब्ध करायेंगे।
- लक्षणों के आधार पर चिह्नित किए जाएंगे कालाजार के मरीज :
डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है जो बालू मक्खी के माध्यम से फैलता है। यह बालू मक्खी कालाजार रोग के परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों, जानवर बांधने के स्थान तथा नम मिट्टी में रहती है। अगर किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा समय से बुखार हो और वह मलेरिया या अन्य उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है। 15 या 15 से अधिक दिनों से बुखार पीड़ित वैसे व्यक्ति जिनका बुखार एंटीबायॉटिक दवा सेवन के बावजूद ठीक नहीं हो रहा हो, भूख की कमी व पेट का बड़ा होना, वजन में गिरावट, शरीर पर चकते का निशान वाले मरीज कालाजार ग्रसित हो सकता है। ऐसे मरीजों को नजदीकी अस्पताल में जांच करवाते हुए इसका इलाज करवाना चाहिए।