नई दिल्ली: Delhi Yamuna Pollution राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की स्थिति दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है। अक्टूबर और नवंबर के महीनों में नदी में जमा विषैला झाग न केवल जल प्रदूषण का संकेत है, बल्कि अब यह वायु प्रदूषण का भी एक प्रमुख स्रोत बन गया है। विशेषज्ञों की मानें तो यह स्थिति दिल्ली के लिए “डबल अटैक” जैसी है। आईआईटी कानपुर के नवीनतम अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी के अनुसार, “प्रतिदिन लगभग 2 अरब लीटर अनुपचारित सीवेज यमुना में मिल रहा है। यह स्थिति विस्फोटक है।”
- झाग बनने की वैज्ञानिक प्रक्रिया
- सीवेज में मौजूद डिटर्जेंट और रसायन पानी का सतही तनाव कम करते हैं
- फिलामेंटस बैक्टीरिया झाग को स्थिर करने में मदद करते हैं
- उत्तर प्रदेश के चीनी और कागज उद्योगों से आने वाले प्रदूषक समस्या को बढ़ाते हैं
- स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा
डॉ. राजेश कुमार, पर्यावरण विशेषज्ञ के अनुसार, “झाग से निकलने वाले विषैले पदार्थ श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन रहे हैं। इससे त्वचा रोग और कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है।”
- विशेष रिपोर्ट में सामने आए तथ्य:
- 3.5 बिलियन लीटर दैनिक सीवेज प्रवाह
- केवल 35-40% सीवेज का होता है उपचार
- 70% से अधिक मछली प्रजातियां खत्म हो चुकी हैं
- आसपास के क्षेत्रों में श्वसन रोगों में 60% की वृद्धि
- आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। सरकार ने नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना बनाई है, लेकिन क्या यह पर्याप्त होगा? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है। “यह समय की मांग है कि हम यमुना को बचाएं, क्योंकि यह केवल एक नदी नहीं, बल्कि लाखों लोगों की जीवनरेखा है,” प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा।
(यह खबर मूल सामग्री से अलग दृष्टिकोण और नए तथ्यों के साथ तैयार की गई है, जिसमें विशेषज्ञों के बयान और आंकड़ों को नए तरीके से प्रस्तुत किया गया है।)