पूर्णिया: पूर्णिया के अब्दुल्ला नगर वासी जिसे प्रशासन द्वारा जमीन खाली करने का आदेश दिया गया है और कहा गया है कि जमीन खाली न करने पर पुलिस बल द्वारा जबरन खाली कराया जाएगा। इस संबंध में कल अब्दुल्ला नगर के करीबन डेढ़ सौ से 200 लोग कमिश्नर के पास एक आवेदन लेकर पहुंचे थे, जिसे कमिश्नर ने स्वीकार नहीं किया था। सभी ने डीएम से भी मिलना चाहा था परन्तु डीएम से मुलाकात नहीं हुई, कार्यालय में नहीं थे। एसडीओ तथा कमिश्नर से मुलाकात हुई थी। वही पत्रकारों द्वारा जब इन लोगों से बात किया गया था तो प्रशासन के सहयोग नहीं करने पर इन लोगों ने कहा कि जहर खा लेंगे, नदी में जल समाधि ले लेंगे, बुलडोजर के नीचे दब के मर जाएंगे परंतु अपने खून पसीने की जमीन और मकान को नहीं छोड़ेंगे। लोगो ने बताया की एसडीओ साहब से जब मुलाकात हुई थी तो उन्होंने डीएम के यहां जाने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता क्योंकि कोर्ट का मामला है, आप डीएम साहब के पास अपनी बात को रखें। कमिश्नर साहब ने अब्दुल्ला नगर (आनंद नगर ) वासियों के प्रतिनिधियों से कहा कि कोर्ट का मामला है, इसलिए आवेदन मैं नहीं ले सकता, आप लोग अपने हिसाब से देखें कि क्या हो सकता है। इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा भी इस पर फैसला दिया गया है। इसके खिलाफ यह उच्चतम न्यायालय में जाना चाह रहे हैं।
इधर नगर वासियों का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा सरकारी अधिवक्ता को उनकी समस्या से जुड़े अपने पक्ष रखने हेतु अवसर दी जाए। बताते चले की पुन: आज सैकड़ो की संख्या में मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस बल जमीन को खाली कराने और मकान को तोड़ने के लिए पहुंची, परंतु आज भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि लोगों ने विरोध कर दिया। आज खासकर विरोध करने का कारण यह भी रहा कि सरकारी अमीन द्वारा लगभग 16 घरों को लाल झंडा लगाकर चिन्हित किया गया कि यह मकान नहीं टूटेगा क्योंकि इस पर कोर्ट का आर्डर है नहीं तोड़ने के लिए। इस पर वहां के स्थानीय लोग भड़क गए की रोक लगेगी तो पूरे जमीन पर लगेगा क्योंकि एक ही खेसरा की जमीन है। विरोध कर रहे लोगों ने बताया कि सुबह ही हम लोगों को सूचना मिल गई थी कि लगभग 16 लोगों से मिलीभगत की गई है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है स्थानीय नेताओं तथा दबंगों द्वारा जिन्हे डिग्री हुई है मिलीभगत की गई है। हमलोगों को सुप्रीम कोर्ट जाने तक के लिए मोहलत मिलना चाहिए।