अररिया/ प्रिंस(अन्ना राय) : बिहार के सबसे पुराने नगरपालिका में से एक है फारबिसगंज नगर परिषद इसकी स्थापना 1912 में हुई।लेकिन जिस उद्देश्य से नगरपालिका की स्थापना हुई,वह दिन ब दिन पब्लिक को सुविधा देने के बजाय मुश्किल हालात में डालने का काम कर रही है।
वर्तमान समय में सेवा के नाम पर जनता को विभिन्न तरह से परेशान करना नगर परिषद प्रशासन का आदत-सा बन गया है। वही, बीते रात और कुछ दिन पहले बारिश क्या हुई थी कि नगर परिषद प्रशासन के काले करतूत और दावों की कलई खोल कर रख दी।आधे घंटे के बारिश में ही शहर पानी पानी हो गया।
आधे घंटे की बारिश में शहर का मुख्य बाजार से लेकर गली मुहल्ले तक में ठेगुना भर पानी भर गया था। जिससे लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।मामले को लेकर जब नगर परिषद प्रशासन की जमकर थुथई हुई तो नगर परिषद प्रशासन और चुने गए जनप्रतिनिधियों की कुंभकर्णी निद्रा टूटी,जिसके बाद शहर में बने नालों की सफाई का दौर शुरू हुआ लेकिन नाले की उड़ाही आम शहरवासी के लिए और मुश्किल हालात लेकर आ गई।
एक तो नाले की उड़ाही करने वाले मजदूर और सफाईकर्मी बिना दस्ताने और जूते के ही जान जोखिम में डालकर नाले की उड़ाही कर रहे हैं।वही सफाई कार्य में लगे जमादार और नप प्रशासन के कर्मचारी इस मामले में उदासीन हैं।
नाले की उड़ाही के बाद नाला का कचरा सड़क के किनारे डाल दिया गया।फलस्वरूप जिस दिन नाले की उड़ाही होती है,उस दिन नाले के कचरे के कारण नाला का पूरा गंदा पानी सड़क पर पसर जाता है और उस ओर से पैदल जाना भी मुश्किल हो जाता है।
इतना ही नहीं भीषण गर्मी के बीच नाला का पानी सूख जाने के बाद इलाका जहां दुर्गंध के कारण महामारी को न्यौता देता है।वहीं कचरा का उठाव ससमय उठाव नहीं होने के कारण उसका धूलकण हवा के हल्के झोंको के साथ लोगों के प्रतिष्ठान और घरों में प्रवेश कर जा रहा है। नगर परिषद की सफाई भी आम जनमानस के लिए परेशानी का सबब बन गई है।