नई दिल्ली: भारत-मालदीव के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की लक्षद्वीप यात्रा को लेकर मालदीव के मंत्रियों की विवादित टिप्पणियों के बाद से दोनों देशों में राजनयिक विवाद चल रहा है। विवाद को बढ़ते देख मालदीव ने अपने मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया है।इस बीच देश के टूरिज्म को झटका लगता देख मालदीव एसोसिएशन ऑफ टूरिज्म इंडस्ट्री (MATI) ने बयान जारी कर मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है। MATI ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ भारत के लोगों के प्रति की गई अपमानजनक टिप्पणियों की हम कड़ी निंदा करते हैं। भारत हमारे निकटतम पड़ोसियों और सहयोगियों में से एक है। MATI ने सोमवार को एक बयान में कहा, भारत हमेशा हमारे संकट भरे पल में पहला मददकर्ता रहा है। हम सरकार के साथ-साथ भारत के लोगों की तरफ से हमारे साथ बनाए गए घनिष्ठ संबंधों के लिए बेहद आभारी हैं।
इसमें आगे कहा गया, मालदीव के पर्यटन उद्योग में भी भारत सतत और अहम योगदान देने वाला देश रहा है। एक सहयोगी जिसने कोरोनावायरस महामारी में हमारे बॉर्डर खुलने के बाद हमारे वापस पटरी पर लौटने की कोशिशों में भी साथ दिया। तबसे अब तक मालदीव के लिए भारत एक अहम बाजार रहा है। यह हमारी कामना है कि दोनों देशों के रिश्ते आने वाली कई पीढ़ियों तक कायम रहें। हम दोनों के बेहतरीन रिश्तों पर नकारात्मक असर डालने वाले बयानों और गतिविधियों से खुद को दूर करते हैं।
माना जा रहा है कि इस पूरे विवाद ने मालदीव के पर्यटन उद्योग खासा नाकारात्मक असर डाला है। क्योंकि भारत के पर्यटक मालदीव टूरिज्म इंडस्ट्री की रीढ़ हैं। अगर मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों में कमी आई तो यह मालदीव अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका होगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो पिछले तीन सालों में सालाना 2 लाख से अधिक भारतीय मालदीव गए हैं। यह किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक है। फिलहाल विवाद के बाद मालदिव के टूरिज्म पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। मालदीव पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में 17 लाख से अधिक पर्यटकों ने द्वीप राष्ट्र का दौरा किया, जिनमें से 2,09,198 से अधिक पर्यटक भारतीय थे, इसके बाद रूसी (2,09,146) और चीनी (1,87,118) थे।