संतों की वाणी जीवन को सरल तो बनाता ही है संयमित और अनुशासित भी बनाता है।सद्गुरु महर्षि मेही जी महाराज 20 वीं सदी के महान संत थे।उन्होंने मानव शरीर की उपयोगिता का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा था कि इस शरीर का अन्तिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है। इस शरीर का सही सदुपयोग भवसागर को पार करना है।कुछ ऐसा करो कि अगले जन्म में भी मनुष्य बनने का मार्ग प्रशस्त हो सके।जिसने अपने शरीर का सही सदुपयोग कर लिया वही समाज की भी सेवा कर सकता है।श्री कुशवाहा ने कहा कि सत्संग की सार्थकता तब होगी जब हम संतों की वाणी को अपने पारिवारिक और सामाजिक जीवन मे उतारेंगे।उक्त बातें पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा ने गुरुवार को धमदाहा प्रखण्ड के किशनपुर बलुआ पंचायत के सौरकाही में आयोजित दो दिवसीय विश्वस्तरीय संतमत सत्संग समारोह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कही।पूर्व सांसद ने इस मौके पर व्यासा नंद जी महाराज के प्रवचन का श्रवण किया और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
वहीं गुरुवार की देर शाम पूर्व सांसद श्री कुशवाहा कोढ़ा प्रखण्ड के फुलवरिया पंचायत के मधुरा गांव पहुंचे जहां श्रीमद भागवत कथा का आयोजन हो रहा है।उन्होंने कथावाचक रमाकांत व्यास जी महाराज जी के कथा का श्रवण किया और उनका आशीर्वाद लिया।श्री कुशवाहा ने कथा के आयोजक दिलीप मिश्र को इस तरह के आयोजन के लिए साधुवाद दिया।इस मौके पर जदयू जिला अध्यक्ष प्रकाश सिंह पटेल, राज कुमार चौधरी,जितेंद्र मुखिया , महेश्वरी मेहता, विजय कुमार सिंह,रूपेश मंडल, ललन राय, राजेश राय,सोने लाल मंडल,राजेश गोस्वामी,अविनाश कुशवाहा, चंदन मजूमदार अशोक चौधरी,दिनेश मंडल आदि शामिल थे
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