कटिहार: Microfilariae फाइलेरिया के संभावित लोगों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में नाईट ब्लड सर्वे की शुरुआत की गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 18 से 27 नवंबर तक सभी प्रखंड के चिन्हित सेंटिनल क्षेत्र और रेंडम क्षेत्रों में रहने वाले सामान्य लोगों के कुछ बूंद ब्लड सैंपल लेते हुए अगले दिन प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र में उसमें उपस्थित माइक्रो फाइलेरिया की जांच सुनिश्चित की जाएगी। कटिहार सदर प्रखंड के हाजीपुर पंचायत वार्ड नं 2 के नीचा टोला में स्थानीय मुखिया के घर में जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा द्वारा फीता काटकर नाईट ब्लड सर्वे की शुरुआत की गई। इस दौरान जिलाधिकारी द्वारा नाईट ब्लड सर्वे के लिए कैम्प में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी लेते हुए माइक्रो फाइलेरिया होने पर संबंधित लोगों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने का आवश्यक निर्देश दिया गया। जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा ने उपस्थित सभी स्वास्थ्य लोगों नाईट ब्लड सर्वे के दौरान कुछ बूंद खून देते हुए उसमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की जांच करवाने की अपील की गई।
ब्लड सैंपल देने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्थानीय प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र में माइक्रोस्कोप द्वारा जांच करते हुए उसमे उपस्थित माइक्रो फाइलेरिया की पहचान सुनिश्चित की जाएगी। माइक्रो फाइलेरिया होने पर संबंधित व्यक्ति को तत्काल इलाज उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकेंगे। पहले दिन कटिहार जिले के सभी प्रखंडों में कुल 845 ब्लड सैंपल एकत्रित किया गया। कटिहार सदर प्रखंड में आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम में जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा के साथ जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह, डीपीएम डॉ किशलय कुमार, भीडीसीओ एन के मिश्रा, कटिहार सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, भीबीडीएस, बीएचएम, बीसीएम सहित पिरामल स्वास्थ्य एबीसी संचारी रोग समन्यवक और डब्लूएचओ अधिकारी उपस्थित रहे।
- सभी प्रखंड के सेंटिनल और रेंडम क्षेत्रों में होगी नाईट ब्लड सर्वे :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह ने कहा कि क्यूलेक्स मादा मच्छर द्वारा फाइलेरिया ग्रसित मरीजों के शरीर में काटने पर उसके शरीर में उपलब्ध फाइलेरिया कीटाणु अपने शरीर में लेते हुए उसके बाद काटने वाले सामान्य व्यक्ति के शरीर में छोड़ दिया जाता है। इससे संबंधित व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु दिन ब दिन बढ़ते जाते हैं। शुरुआत में जांच नहीं होने पर संबंधित व्यक्ति का शरीर फाइलेरिया ग्रसित हो जाता है जिसकी पहचान 5 से 10 साल बाद शरीर में होने वाले सूजन से चिन्हित किया जाता है। उसके बाद उसका कोई संपूर्ण इलाज नहीं हो सकता। माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु किसी व्यक्ति के शरीर में सिर्फ रात के समय में ही एक्टिव आवश्यता में पाया जाता है जब संबंधित व्यक्ति का शरीर शांत अवस्था में होता है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में सेंटिनल क्षेत्र जहां पहले से ही कुछ फाइलेरिया ग्रसित मरीज उपलब्ध हैं और रेंडम क्षेत्र जहां फाइलेरिया ग्रसित व्यक्ति मिलने की संभावना होती है वहां नाईट ब्लड सर्व अभियान चलाया जाता है। इस दौरान 20 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का ब्लड सैंपल लेते हुए उसमे उपस्थित माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु की जांच सुनिश्चित की जाती है।
जांच के बाद संबंधित क्षेत्र में ऐसा कोई व्यक्ति पाए जाने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है जिससे कि संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकता है। शुरुआत में जांच नहीं कराने पर कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित हो सकते हैं जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखा जा सकता है उसका कोई सम्पूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता है। कोई भी सामान्य व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया के कीटाणु की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नाईट ब्लड सर्वे अभियान चलाते हुए संबंधित क्षेत्र में लोगों की कुछ बूंद ब्लड सैंपल लिया जाता है। ब्लड सैंपल देने से संबंधित व्यक्ति के शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया की पहचान की जा सकती है। किसी क्षेत्र में एक भी फाइलेरिया ग्रसित मरीज उपलब्ध होने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित क्षेत्र में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है। इस दौरान क्षेत्र के सभी सामान्य लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा घर-घर पहुँचकर फाइलेरिया से सुरक्षा की दवाई खिलाई जाती है। स्वास्थ्य कर्मियों के सामने दवा सेवन करने से लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रहते हैं।