मौसम में गर्मी की वजह से उपज में कमी आई है, जबकि पिछले साल के कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू ने भी किया बेडा गर्क
पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: प्रखंड में इसबार भी आलू किसानों को धोखा दे गया है। इसके उपज में तो कमी आई ही है, साथ ही इसकी कीमत भी गिरने से किसान मुंह के बल गिर पडे हैं। प्रायः देखा गया है कि उजला आलू 70 दिनों के बाद अच्छी उपज देना शुरू कर देता है, परंतु इसबार पिछले साल की तुलना में काफी कम उपज दे रहा है। किसी भी किसान का दस मन से ज्यादा प्रति कठा उपज दे ही नहीं रहा है। जबकि अन्य साल 70 दिनों में इसकी उपज 12 से 15 मन प्रति कठा हो जाया करती थी। अगर 80 से 85 दिनों तक किसान फसल को छोड देते हैं, तब यह उपज 20 मन तक चली जाती है। कीमत में भी काफी कमी आई है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष जो किसान इस समय तक एक हजार रूपये प्रति क्विंटल बेचा था, आज उसकी कीमत मात्र 700 रूपये है। यह कीमत लगातार घटती चली जा रही है।
मौके पर आलू उपजानेवाले किसान अखिलेश सिंह, सुबोध सिंह, छेदी जायसवाल, ब्रहमदेव महतो, सुरेश जायसवाल आदि कहते हैं कि समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर क्या करें। आलू फसल उपजाने के लिए कम-से-कम चालीस हजार रूपये बीघा के हिसाब से खर्च होते हैं, परंतु इसबार यह खर्च उपर हो रहा है, वही बहुत अधिक है। जबकि उजला आलू में यह माना जाता है कि यह महज साठ दिनों में किसानों की पूंजी दोगुनी से ज्यादा कर जाता है। यद्यपि पिछले दस सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो इनमें से लगभग पांच साल किसानों को कम रेट मिला है, अन्यथा अन्य पांच सालों तक किसानों ने चांदी नहीं, बल्कि सोना उपजाया था। वर्ष 2013, 2014, 2015, 2019, 2021 आदि वर्षो में तो किसान महज दो माह में अपनी पूंजी के चार-चार गुणा मुनाफा कमाया था। कुल मिलाकर इसबार आलू की फसल किसानों को मुंह के बल गिराने पर तुला है, देखें किसानों के भाग्य में आगे क्या लिखा है।