सहरसा, अजय कुमार: SAHARSA NEWS राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय में विदाई समारोह आयोजित कर भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विष्णुदेव चौधरी, तृतीयवर्गीय शिक्षिकेत्तर कर्मचारी सुनीला झा एवं बैद्यनाथ चौधरी तथा चतुर्थवर्गीय कर्मचारी कुमुदानंद चौधरी और शुभंकर झा की सेवानिवृत्ति पर उन्हें प्रधानाचार्य डॉ. ललित नारायण मिश्र एवं निवर्तमान प्रधानाचार्य प्रो डॉ अमर नाथ चौधरी ने पाग और चादर से सम्मानित कर भावभीनी बिदाई दिया। प्रधानाचार्य डॉ ललित नारायण मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ विष्णुदेव चौधरी भौतिक विभाग के विद्वान और कर्मनिष्ठ प्रोफेसर हैं और महाविद्यालय में कई महत्वपूर्ण पदों का प्रभार लगनशीलता के साथ निभाते रहे हैं। इनके जाने से महाविद्यालय को बड़ी क्षति हो रही है। विश्वविद्यालय स्तर पर भी भौतिकी विभाग के वरिष्ठ और अनुभवी शिक्षकों में डॉ विष्णुदेव जैसे गिने-चुने विद्वानों में कुछ लोग ही बच गये हैं जिनकी सेवानिवृत्ति से विश्वविद्यालय को अपूर्णीय हानि हो रही है। उन्होंने कहा कि सुनीला झा हमलोगों के सहकर्मी संस्कृत विभाग के प्रोफेसर चंद्रदेव झा की धर्मपत्नी हैं और उनके आकस्मिक निधन के उपरांत से यहां अपनी अनवरत, अथक और सच्ची लगन से सेवा देती आ रहीं है।
बैद्यनाथ चौधरी हमारे छात्र कान्टर को न केवल लगनपूर्वक और कर्तव्यनिष्ठ होकर संभालते थे बल्कि छात्रों की समस्याओं को अपने स्तर पर ही सुलझा कर प्राचार्य तक विरले भाव ही किसी समस्या को पहुंचने देते थे। कुमुदानंद चौधरी पुस्तकालय में कार्यरत रह कर अपने मधुर व्यवहार व छात्र हितैषी स्वभाव के कारण छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय रहे। शुभंकर झा यहां के सबसे पुराने कर्मियों में एक हैं और अपने शिष्ट व्यवहार और सेवाभाव से सबों के मन को भाते रहे हैं। अब इनके चले जाने से इन लोगों की कमी हम सबों को खलेगी। पुर्व प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. अमरनाथ चौधरी ने कहा कि मेरे कार्यकाल में भी डॉ विष्णु देव चौधरी को महाविद्यालय द्वारा जब जो भी दायित्व सौंपा गया उन्होंने निष्ठावान होकर अपने दायित्वों का निर्वहन किया। चार चार शिक्षिकेत्तर कर्मचारियों को एक साथ सेवानिवृत्त होने के संबंध में उन्होंने ज़ोर देकर कहा गैरशिक्षण कर्मचारी किसी भी संस्था की रीढ़ होती है, जिनके बल पर ही संस्था के सभी प्रशासनिक कार्य सही ढ़ंग से काम करती है। आज हमारे मित्र डॉ. विष्णुदेव इतनी बड़ी संख्या में इन कर्मचारियों को अपने साथ लेकर जा रहे हैं। निश्चित ही महाविद्यालय के कार्यों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। परन्तु खुशी इसी बात की है कि न तो हमारे प्रिय मित्र डॉ. विष्णुदेव चौधरी के व्यक्तित्व पर और न ही हमारे किसी भी गैर शिक्षण कर्मचारीयों की धवल छवि पर तिल भर कोई कलंक या आक्षेप लगा है। सरकारी नौकरी में यह बात काफी महत्वपूर्ण होती है।
अवसर पर महाविद्यालय के अन्य शिक्षक डॉ. इन्द्रकांत झा, डॉ. आशुतोष कुमार झा, डॉ. उर्मिला अड़ोरा, डॉ. विनोद मोहन जयसवाल डॉ. पी. सी. पाठक, डॉ. सिंधु सुमन, डॉ. आलोक कुमार झा, विश्वविद्यालय पीजी समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राणा, इत्यादि ने अपने संबोधन में प्रोफेसर डॉ. बी. डी. चौधरी और अन्य सभी शिक्षिकेत्तर कर्मचारियों के प्रति अपने पुरानी यादों का उल्लेख करते हुए अपना भावनात्मक सम्मान व्यक्त किया और उनके सुखद, स्वस्थ और सुयश जीवन की कामना की। डॉ. बिष्णुदेव चौधरी अपने संबोधन में काफी भावुक हो गये और कहा कि मैं स्वभाव से गलती करने के मानवीय गुणों से परे नहीं हूॅं। महाविद्यालय में मेरी छवि अच्छी इसलिए बनी रही क्योंकि आपलोगों का शुद्ध स्नेह और निश्छल प्यार मुझे सदैव मिला। मेरे काम के प्रति आपका विश्वास और महाविद्यालय में आप लोगों द्वारा तैयार किया गया स्वच्छ शैक्षिक माहौल मेरे लिए हमेशा प्रेरणादायी रहा और मुझे सदा उर्जावान बनाये रखा। सेवानिवृत्ति के उपरांत अब मैं अपना बचा हुआ समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहता हूॅं। शिक्षिकेत्तर कर्मचारियों ने भी अपने संबोधन में आज के इस आयोजन हेतु महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. ललित नारायण मिश्र को धन्यवाद दिया।मंच संचालन डॉ अक्षय कुमार चौधरी और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अमिष कुमार ने किया।इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक और कर्मचारीगण उपस्थित रहे।