पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: Purnia News सोमवार को टीकापट्टी गांव में अंत्यपरीक्षण के बाद तीन-तीन बेटों का श्व गांव पहुंचते ही, तीनों मांओं के चित्कार से पूरा टीकापट्टी गांव दहल उठा। हरओर चींख-पुकार मची हुई थी। गौरतलब है कि रविवार की शम लगभग 7 बजे टीकापट्टी गांव के तीन युवक रोहित कुमार 19 वर्ष, पिता मनोज चैधरी, विशाल कुमार उ्रम्र 20 वर्ष , पिता नीरज कुमार एवं जिम्मी आनंद उर्फ जिम्मी राज उम्र 19 वर्ष, पिता रामानंद यादव बघवा गांव से भोज खाकर बाइक से लौट रहे थे, तभी उनकी बाइक असंतुलित होकर दिशा निर्देश वाले पोल से टकरा गई तथा फिर वह पेड से टकरा गई थी, जिससे तीनों की तत्क्षण मौत हो गई थी। उन तीनों का शव अंत्यपरीक्षण के बाद गांव लौटते ही गांव में चींख-पुकार मच गई। सभी मृतक युवकों का अंतिम-संस्कार गांव के किनारे बहनेवाली कोसी धार में अंतिम-संस्कार किया गया। मौके पर ग्रामीण सह मुखिया शांति देवी, पूर्व मुखिया अवधेश सरस्वती, सामाजिक कार्यकत्र्ता कालेश्वर मंडल, अरविंद साह सहित सभी शुभचिंतकों ने उनके घर पर जाकर संतावना दी तथा मृतकों की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की।
अर्थी को पिता ने जैसे ही कंधा लगाया, वैसे ही फफक पड़े लोग-
हर पिता एवं दादा अंतिम इच्छा होती है कि कि उसकी मौत के बाद उसका पुत्र या पौत्र उसे कंधा एवं मुखाग्नि दे, परंतु अब प्रायः ऐसा देखने को मिलने लगा है कि पिता एवं दादा ही अपने पुत्रों-पौत्रों को कंधा देने लगे हैं। टीकापट्टी गांव में मनोज चैधरी पुत्र रोहित की सडक हादसे में मौत के बाद, जब अपने पुत्र रोहित कुमार की अर्थी को कांधा दिया, तब पूरा टीकापट्टी बाजार फफक पड़ा। ठीक इसी तरह मृतक विशाल कुमार के दादा राजकुमार अपने पौत्र को कांधा दिया, वे फफक पडे, पूरा टीकापट्टी दहल उठा। ठीक इसी तरह जिमी आनंद के पिता रामानंद यादव ने कांधा दिया तब और मातम फैल गया। हर ओर यही चर्चा कि आखिर यह क्या होने लगा है।
टीकापटी कोसी धार में एकसाथ जली तीन चिताएं-
गांव के किनारे कोसी धार के किनारे सडक हादसे में मारे गए तीनों युवकों रोहित कुमार, विशाल कुमार एवं जिम्मी राज की एक साथ अलग-अलग अर्थियां सजाई गईं तथा उनका अंतिम-संस्कार किया गया। इस दौरान हजारो की संख्या में ग्रामीण एवं शुभचिंतक नदी किनारे उनके अंतिम-संस्कार में शामिल होने पहुंचे थे।
मृतक रोहित घर का इकलौता चिराग था-
मृतक रोहित अपने घर का इकलौता चिराग था तथा वह इंटर में पढता था। उसके परिवार को उससे काफी उम्मीदें थीं, किसी ने सोचा भी नहीं था कि रोहित उन्हें मझधार में छोडकर सदा के लिए चला जाएगा। शरी पर कफन लपेटे पिता मनोज चैधरी बेसुध पडे थे, मां रंजू चैधरी, बहन ऋतु कुमारी, कशिश कुमारी सहित पूरा परिवार चित्कार कर रहा था। कोई ढाढस बंधानेवाला नजर नहीं आ रहा था। सभी फफक रहे थे। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं थे, बस सभी भगवान को कोस रहे थे कि आखिर भगवान ने उन्हें किस जन्म का बदला लिए हैं।
मृतक जिमी आनंद के घर में भी मचा था चित्कार-
मृतक जिमी आनंद के घर में भी चित्कार मचा था। मां अंजली देवी, पिता रामानंद यादव, भाई राज मनीष, दादी सुशीला देवी बस चित्कार करती चली जा रही थीं। पूरा घर रूदन-क्रंदन से गुंज रहा था। मां रह-रहकर बेहोश हो जाया कर रही थी। बस घर में चित्तकार-ही-चित्कार मचा था।
मृतक विशाल कुमार के यहां भी वही स्थिति थी, दहाडे मार रहे थे स्वजन-
मृतक विशाल कुमार के यहां भी बस रूदन-क्रंदन मचा था। हरओर चित्कार से मातम मचा हुआ था। मां नूतन देवी, दादा राजकुमार मंडल, दादी राजकुमारी सहित सभी स्वजन चित्कार कर रहे थे। दादा राजकुमार मंडल फफकते हुए बोले कि बताएं कि उन्होंने भगवान को क्या बिगाडा था कि आज जिस पौत्र को उसकी अर्थी को कांधा देना चाहिए था, आज उनको कांधा देना पड़ा। जिस पौत्र को उनकी मुखाग्नि देनी थी, आज वे स्वयं अपने पौत्र को मुखाग्नि दे रहे हैं। बस सभी परिवार फफक रहा था। कुल मलाकर पूरे टीकापट्टी गांव में मरघट-सा सन्नाटा पसरा हुआ था, अगर आवाज आ रही थीं तो बस मांओं की, पिताओं की, दादाओं की, दादियों की, स्वजनों की के चित्कार की। सभी के मुंह से एक ही बात निकल रही थी कि भगवान ऐसा दर्द किसी भी व्यक्ति को नहीं दें। वे ऐसा दर्द बर्दास्त नहीं कर पाएंगे।