पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: Purnia News ध्यान साधना करें, परमपिता परमेश्वर से मिलन होगा, उक्त प्रवचन प्रखंड के जंगलटोला गांव में संतमत सतसंग भ्रमण-मंडली के सौजन्य से आयोजित संतमत सतसंग के तीन दिवसीय सतसंग में स्वामी रविनंदनजी महाराज ने उपस्थित हजारो श्रद्धालुओं के ज्ञान-चक्षु खोलते हुए कही। इस आयोजन का मंच संचालन महंथी शर्मा ने किया। इस अवसर पर जंगलटोला गांव परिक्षेत्र में सतसंग से भक्ति की वयार बह चली है तथा पूरा क्षेत्र इसके सुगंध से सुगंधित हो गया है। इस अवसर पर स्वामी रविनंदनजी महाराज ने प्रवचन में कहा कि ध्यान साधना करें, परमपिता परमेश्वर से मिलन हो जाएगा। इसके लिए मात्र बारह सेकेंड अपने दोनों नेत्रों को त्रिकुटी पर केंद्रित करें तथा उसके साथ-साथ मन को भी वहां केंद्रित करें। जैसे ही तीनों केंद्रित होगा, प्रकाश का एक विंदु दिखाई पडेगा।
इसे भक्तजन धीरे-धीरे समय बढाते जाएं, प्रकाश विंदु कई रूप में दिखाई देने लगेंगे। इसके बाद जिस प्रकार चंद्रमा का प्रतिविंब नदी के किनारे पानी में देखने के बाद दिखता है, उसी प्रकार एक बडा प्रकाश विंदु लहर की तरह दिखाई देगा। इसके बाद प्रकाश लूप्त हो जाएगा तथा शब्द सुनाई पडने लगेगा। यह शब्द अपने-आप एक अनोखा मिठास पैदा करनेवाला होगा। जिसमें भक्तजन गोता लगाने लगेंगे तथा उन्हें उस शब्द के अलावा कोई भी बात सुनने को मन नहीं करेगा, उसी में वे रमते दिखाई देंगे। उसी शब्द में ब्रहम के रूप का अनुभव होगा तथा मोक्ष की प्राप्ति होगी। मोक्ष की प्राप्ति के बाद फिर जीवन-मरण से सदा के लिए छूटकारा मिल जाएगा। इसके लिए लोगों को पंच महापापों को त्यागना होगा। झूठ, चोरी, नशा, हिंसा एवं व्यभिचार से जो भी आदमी मुक्त हो जाएंगे, उन्हें नया मार्ग मिलेगा जो सीधा परम ब्रहम को प्राप्त करेगा। इसके लिए उन्हें ध्यान, साधना की आवश्यक होगी, तभी वे इन पांच महापापों से मुक्ति पा सकेंगे।
परंतु लोगों को पहले संतों के शरण में आना होगा तथा उनके बताये मार्ग पर चलना होगा। इनके अलावा यहां आए अनेक साधु-महात्माओं ने भी अपने प्रवचन से सतसंग-प्रेमियों के ज्ञान-चक्षु खोले। मौके पर यहां के पूर्व विधायक भाजपा प्रत्याशी परमानंद मंडल, पूर्व मुखिया प्रतिनिधि मो मुजाहिर आलम, शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष पवन कुमार जायसवाल, पूर्व समिति सदस्य हिमांशु कुमार जुगनू, वार्ड पार्षद प्रतिनिधि मंटू मंडल, कैलाश सिंह, शंभू मंडल, नेहरू शर्मा, प्रकाश मंडल, राजो दास आदि ग्रामीण एवं क्षेत्र के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।