PURNIA NEWS : बिहार के पूर्णिया में विलुप्त हो रही लोक और जनजातीय कलाओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से एक भव्य महोत्सव का आयोजन किया गया। पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्णिया सदर विधायक विजय खेमका ने दीप प्रज्वलित कर किया। केंद्र के संयोजक विश्वजीत कुमार सिंह ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बिहार की विलुप्त होती कला और संस्कृति से नई पीढ़ी को परिचित कराना है, जिससे वे अभी तक अनभिज्ञ हैं। महोत्सव में विभिन्न पारंपरिक कलाओं की मनमोहक प्रस्तुतियां दी गईं। श्रीमती चांदनी शुक्ला और उनके दल ने भिखारी ठाकुर की विदेशिया गायन शैली को प्रस्तुत किया, जिसमें श्रुति, बरनाली मुखर्जी, शिवानी कुमारी, कौशिकी कुमारी, सौम्या कुमारी और पायल कुमारी ने भाग लिया। पूर्णिया के प्रसिद्ध लोक कलाकार अमित कुमार ने विदेशिया नृत्य की प्रस्तुति दी, जो आज भी गांवों में लौंडा नाच के नाम से जानी जाती है।
बिहुला विषहरी लोक गाथा की प्रस्तुति सूचित कुमार (एस कुमार) और कसबा सांस्कृतिक मंच के कलाकारों द्वारा की गई। डॉ. जयदीप मुखर्जी और उनके दल ने बिहुला विषहरी नृत्य नाटिका प्रस्तुत की, जिसमें स्नेहा झा, शांभवी, रिया देवनाथ और अन्य कलाकारों ने भाग लिया। कला भवन नृत्य विभाग, पूर्णिया की ओर से बिहार के पारंपरिक लोक नृत्य झिझिया की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसमें खुशी कुमारी, नेहा कुमारी, ट्विंकल कुमारी और अन्य कलाकारों ने भाग लिया। मृत्युंजय कुमार और उनके दल ने जाट जतिन नृत्य प्रस्तुत किया, जिसमें अंकिता कुमारी, दीपू कुमार और अन्य कलाकारों ने भाग लिया। सुभाष यादव और उनके समूह ने देवी मानो गायन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम को सफल बनाने में निदेशक आशीष गिरि, सहायक निदेशक डॉ. तापस सामंत्र्य के साथ-साथ नाट्य विभाग के निर्देशक कुंदन कुमार सिंह, वरिष्ठ रंगकर्मी अंजनी श्रीवास्तव और कई अन्य कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस आयोजन के माध्यम से बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का प्रयास किया गया।