PURNIA NEWS अभय कुमार सिंह : मोहनपुर थाना क्षेत्र के कंकला गांव में सुसुप्ता अवस्था में बुजूर्ग महिला की मौत संदेह के घेरे में आ गई है। महिला जलकर मरी थी या फिर उसे जला दिया गया था, कई सवाल खडे हो गए हैं। साथ ही इस जघन्य घटना ने पुरानी जख्मों को भी ताजा कर दी है, जब इसी थाना क्षेत्र के कांप गांव में एक शिक्षक की मां को पडोसियों ने डायन के संदेह में जलाकर मार डाला था। यह बता दें कि कंकला गांव में बासा पर सुसुप्ता अवस्था में 54 वर्षीया कुडिया देवी पति कपिलदेव शर्मा की 17 अक्तूबर की रात जलकर मौत हो गई है, उसके साथ-साथ लगभग चार बकरियां भी जल मरी हैं। यद्यपि मृतक के स्वजनों ने दामाद पर ही हत्या कर देने का आरोप लगाया है।
गांव से लगभग दो सौ मीटर की दूरी पर सूनसान स्थान पर है बासा-
मृतका बुजूर्ग महिला का बासा गांव से लगभग दो सौ मीटर दूर उत्तर दिशा में सुनसान जगह पर है। वहां महिला की जमीन एवं बासा भी है। वह वहां लगभग 12 वर्षों से अपना निवास बनाए हुए थी। शव की स्थिति बिल्कुल चिता पर जलने के सामान थी-
घटना स्थल पर शव की स्थिति बिल्कुल चिता पर जलने के सामान थी। वह चित्त पडी हुई थी तथा उसका शरीर लगभग 75 प्रतिशत जल चूका था। समझा जा सकता है कि वह कितनी जल गई थी कि शव उठाने के दौरान उसके पांव के कुछ अंश वहीं रह गए थे। बगल में बकरियों के साथ-साथ पूरा घर एवं सामान जला पडा था।
महिला प्रतिदिन घर में बने मचान पर ही सोती थी, जो बाहर से खुला हुआ था-
महिला प्रतिदिन अपने घर के मुंह के अंदर ही मचान बनाए हुए थी, उसी पर सोया करती थी। घर भी ऐसा था कि चारोओर से प्लास्टिक से घेरा हुआ था तथा उपर भी प्लास्टिक ही था। वह मचान ही उसकी चिता बन गई थी।
अगलगी स्वतः थी या फिर अंजाम दिया गया था-
महिला का शव जिस प्रकार पडा हुआ था, उससे ऐसा लग रहा था कि आग लगने के दौरान थोडी भी छटपटाई भी नहीं थी, बिल्कुल अपने को शांत ढंग से आग के हवाले कर दिया था। जबकि आग की ताप से कोई भी इंसान वहां से जान बचाने के लिए भागने का प्रयास करता है, फिर महिला शांत-चित्त कैसे मचान पर पडी रही, यह संदेह उत्पन्न करता है। यहां तीन तरह की संभावना दिख रही है कि अक्सर मवेशी की जगह पर लोग अलाव लगा देते हैं, ताकि मवेशी को मच्छर नहीं लगे। इस परिस्थिति में यहां के गांवों में अक्सर आग लगते देखा गया है। दूसरी संभावना यह है कि महिला की तबियत खराब होगी, वह बिछावन से हिलडुल नहीं पा रही होगी तथा वह आग लगने पर अपना बचाव नहीं कर पायी होगी तथा वह जल मरी होगी। यह भी संभावना है कि पूरा घर प्लास्टिक से लिपटा हुआ था, इसलिए अचानक आग की लपटों ने उसे उठने का मौका नहीं दिया होगा। यद्यपि स्वजनों का कहना है कि वह बिल्कुल तंदुरूस्त थी तथा उसकी आवाज भी कडक थी। कोई भी घटना होती तो, वह जोर से चिल्लाती तो पूरा गांव सुनता, परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। तीसरी संभावना यह है कि अगर हत्या की गई है तो पहले महिला को उस स्थिति में पहुंचाया गया होगा कि वह हिले-डुले नहीं तथा वह घर में ही जलकर मर जाए। स्वजन दामाद पर हत्या करने का आरोप लगया है। अब तो अंत्यपरीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि महिला की मौत कैसे हुई होगी।
कांप गांव की 27 मार्च 2017 की लोमहर्षक घटना ताजा हो गई-
कंकला गांव की लोमहर्षक घटना ने मोहनपुर थाना क्षेत्र के कांप गांव में हुई लोमहर्षक घटना की जख्म को कुरेद कर रख दिया है। कांप गांव में 27 मार्च 2017 को ठीक इसी तरह की घटना घटी थी। यहां एक शिक्षक की 79 वर्षीया मां को डायन के शक में किरासन तेल डालकर जिंदा जला दिया गया था। वह बचाव के लिए चिल्लाती रही, परंतु उनकी दर्दनाकर आवाज को सभी ने अनसुनी कर दी थी तथा वह धू-धूकर जलती रही, जबतक कि उसके प्राण नहीं निकल गए थे। जबकि कांप गांव अपने-आप में एक शिक्षित एवं सुसभ्य गांव माना जाता है।