पूर्णिया: PURNIA NEWS एचआईवी एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए संक्रमित व्यक्ति को नियमित आवश्यक इलाज करवाने के प्रति जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 12 अगस्त से 12 अक्टूबर तक जिले के सभी क्षेत्रों में एड्स जागरूकता अभियान (इंटेसिफाइड कैंपेन) चलाया जा रहा है। इसके तहत स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों द्वारा जिले के सभी प्रखंडों के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को एड्स संक्रमण से सुरक्षा के लिए सावधानी बरतने के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। समाज से दूर जेल में रहने वाले बंदियों को भी इसके प्रति जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा केंद्रीय कारागार, पूर्णिया में एड्स जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान सभी बंदियों को एड्स से सुरक्षा के लिए सावधानी रखते हुए एड्स संक्रमित होने पर अस्पताल से नियमित जांच और इलाज सुविधा का लाभ लेने के लिए आवश्यक जानकारी दिया गया।केंद्रीय कारागार में एड्स जागरूकता अभियान में दौरान जेल अधीक्षक मनोज कुमार, जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी (सीडीओ) सह जिला एड्स नियंत्रण पदाधिकारी (डीएसीओ) डॉ कृष्ण मोहन दास, डब्लूएचओ कंसल्टेंट डॉ इश्फाक नाजिर भट्ट, केंद्रीय कारागार चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रीतम प्रियदर्शी, डीपीएस राजेश शर्मा, एचआईवी जिला समन्यवक बी.एन प्रसाद के साथ सभी केंद्रीय जेल के बंदी उपस्थित रहे।
- जेल कैदियों को भी एड्स से सुरक्षा के प्रति जागरूक करना आवश्यक: सिविल सर्जन
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ आर पी मंडल ने कहा कि बहुत से बंदी अपने अपराधियों के कारण जेल में बहुत दिन तक कैद रहते हैं। समाज से दूर रहने के बाद भी सभी कैदियों को एचआईवी एड्स से सुरक्षा के लिए जागरूक रहना आवश्यक है। इसलिए एड्स जागरूकता अभियान के तहत केंद्रीय कारा बंदियों को भी एड्स से सुरक्षा के प्रति जागरूक किया गया है। सभी को बताया गया कि एक पुरुष या एक महिला द्वारा बहुत से लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने से संबंधित व्यक्ति एचआईवी एड्स से ग्रसित हो सकते हैं। इसके अलावा बाल कटवाने या दाढ़ी बनवाने के दौरान एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के उपयोग वाले ब्लेड/कैंची बिना बदले या साफ किए उपयोग करने पर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति का खून सामान्य व्यक्ति के खून से मिलने पर भी लोग एचआईवी संक्रमित हो सकते हैं। जेल के कैदियों को भी इसके प्रति जागरूक करना बिहार सरकार और स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता में शामिल है। इसके लिए बिहार एड्स कंट्रोल सोसायटी के निर्देशक द्वारा सभी जेल के कैदियों को इसके लिए जागरूक करने का आवश्यक निर्देश दिया गया है जिसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा केंद्रीय कारागार में जागरूकता अभियान चलाया गया और सभी को इसकी जानकारी दी गई। इससे सभी बंदी भी एचआईवी एड्स के प्रति जागरूक रह सकेंगे और संक्रमित होने पर अस्पताल से आवश्यक उपचार का लाभ उठा सकेंगे।
- सिप्लिस होने पर तत्काल जांच व इलाज नहीं कराने पर एचआईवी संक्रमित होने का रहता है खतरा: सीडीओ
जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी (सीडीओ) सह जिला एड्स नियंत्रण पदाधिकारी (डीएसीओ) डॉ कृष्ण मोहन दास ने बताया कि बहुत से लोगों से बहुत बार शारीरिक संबंध बनाने पर संबंधित पुरुष और महिला एचआईवी संक्रमित हो सकते हैं। गैर संचारी शारीरिक संबंध बनाने पर किसी भी पुरूष या महिला के प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन हो सकता है। इंफेक्शन के रूप में संबंधित क्षेत्र में फोड़ा/फुंसी होने लगता है जिसे मेडिकल भाषा में सिप्लिस कहा जाता है। सिप्लिस होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करते हुए इसका इलाज नहीं करवाने पर संबंधित व्यक्ति का एचआइवी पॉजिटिव होने की संभावना 10 गुणा बढ़ जाती है। सिप्लिस होने पर समय पर इलाज कराने से लोग एचआइवी से सुरक्षित रह सकते हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है जिससे कि लोग एचआइवी संक्रमण से सुरक्षित रह सकें और सामान्य जीवन यापन सुनिश्चित कर सकें।
- एचआईवी संक्रमित व्यक्ति व उनके बच्चों को नियमित इलाज कराने पर मिलता है सहायता राशि :
एचआईवी डीआईएस बी एन प्रसाद ने बताया कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति द्वारा नियमित रूप से जिला एआरटी सेंटर से आवश्यक दवा का सेवन करने से एचआईवी एड्स को नियंत्रित रखा जा सकता है। ऐसा करने पर संबंधित एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को बिहार एड्स शताब्दी योजना के तहत प्रति माह 1500 रुपये सहयोग राशि के रूप में सरकार द्वारा दिया जाता है। इसके साथ साथ एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के 18 वर्ष से कम उम्र के एचआईवी संक्रमित या एचआईवी से सुरक्षित सभी बच्चों को भी परवरिश योजना के तहत प्रति माह 1000 रुपये प्रति माह सहयोग राशि उपलब्ध कराई जाती है। एचआईवी संक्रमित लोगों को नियमित एड्स नियंत्रण दवा का उपयोग करते हुए इस योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए।