पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: PURNIA NEWS शिक्षा वह चीज है, जो समाज का ढांचा बदलने की ताकत रखता है तथा इससे हदतक सबकुछ हाशिल किया जा सकता है। ऐसा ही मोहनपुर बाजार में एक ऐसे परिवार को देखा गया है, जहां यह परिवार पाई-पाई का मोहताज था, परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी तथा अपने पुत्र को शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोडी तथा काबिल बना दिया। आज उसका पुत्र दारोगा बनकर ना सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रहा है, बल्कि वह क्षेत्र का भी नाम रोशन कर रहा है। यह परिवार अरविंद कुमार साह एवं रूक्मिणी देवी का है। इस परिवार ने बेहद गरीबी झेला है। इस दंपत्ति को तीन पुत्र में दो पुत्रों रमण एवं देवशरण को पैसे के अभाव में पूरी शिक्षा नहीं दे पाए, परंतु सबसे छोटे पुत्र विद्यानंद सागर को पढाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इसमें उनके दोनों बडे पुत्रों ने भी वखूबी भागीदारी निभाई। कुछ इसी का परिणाम रहा कि आज विद्यानंद सागर दारोगा बना। इस संबंध में बाजार के ही सरपंच गौतम गुप्ता विद्यानंद सागर को बधाई देते हुए कहते हैं कि विद्यानंद बचपन से ही पढाई के प्रति लगनशील था। कुछ इसी कारण यहां के दो शिक्षक अजय कुमार एवं गुड्डू कुमार बेहद लगन के साथ उसे शिक्षा दी। कहते हैं नींव मजबूत होता है तो मकान भी तनकर खडा रहता है। आधार मजबूत होने के कारण विद्यानंद को पढाई में कहीं कठिनाई नहीं हुई। इधर विद्यानंद की पढाई के लिए पिता अरविंद साह बाजार-बाजार सडक पर चटी बिछाकर आलू-प्याज, मशाला बेचकर, भूखे रहकर, विद्यानंद को पढाई के लिए पैसे की कहीं कमी महसूस नहीं होने दी। कुछ इसी का नतीजा हुआ कि विद्यानंद सागर वास्तव में सागर बनकर निकला तथा दारोगा बन गया।
मौके पर घर आए नवनियुक्त दारोगा विद्यानंद सागर ने बताया कि उसने दारोगा के लिए पीटी परीक्षा 27 दिसंबर 2023 को दी थी, इसके बाद 25 फरवरी 2024 को मेंस हुआ, फिर 13 जून को फिजिकल हुआ तथा 9 जुलाई को मेरिट लिस्ट निकला, जिसमें उसका चयन दारोगा में हो गया। उसकी पोस्टिंग रोहतास जिले में हुई है। उसे अब प्रशिक्षण में भेजा जाएगा। वे इस सफलता के लिए अपने माता-पिता, दोनों भाईयों, गुरूजनों को देते हैं। कहते हैं कि अगर सच्चे लगन से पढाई की जाए तो सफलता कदम चूमती ही है। ठीक इसी तरह माता रूक्मिणी देवी एवं पिता अरविंद साह कहते हैं कि यह सब महर्षि मेंहीं परमहंजी महाराज के आशीर्वाद का प्रतिफल है, उनके प्रति समर्पण के कारण ही उन्हें यह आशीर्वाद मिला है। वे उनकी इस कृपा को कभी नहीं भूलेंगे।