पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: PURNIA NEWS भगवान ने फूलो देवी को ऐसी सजा क्यों दी, गोद सुनी कर, उसे सदा के लिए दुख के भंवर में डाल दिये हैं। आज ऐसी स्थिति यह है कि जिस भगवान ने तीन-तीन औलादें तो दीं, परंतु ठीक उसी तरह से तीनों औलादों को छिन भी लिया। यह दर्द भरा दास्तान धूसर गांव की फूलो देवी की है। इसके दुख से गांववाले भी भगवान से नाराज दिख रहे हैं। सभी के मुंह से एकही बात कि आखिर फूलो देवी ने किसी का क्या बिगाडा था। इसकी दूर्भाग्य की कहानी कुछ इस प्रकार है। कटिहार जिला के कुरसेला थाना क्षेत्र के बसुहार मजदिया गांव के विनोद चैधरी का एक खुशहाल परिवार था।
भूमिहीन होने के कारण रोजगार की तालाश में वह 90 के दशक में टीकापट्टी थाना क्षेत्र के तेलडीहा गांव में अपनी पत्नी फूलो देवी, पुत्री बदमिया, पुत्र तिलकचंद एवं छोटी पुत्री सजनिया के साथ आकर सडक किनारे रहने लगा। समय के साथ उसने अपनी बडी पुत्री बदमिया का विवाह धूसर गांव में किया। बडी पुत्री के विवाह होते ही इसके दुख के दिन शुरू हो गए। अचानक उसके पति विनोद चैधरी की मौत हो गई। वह किसी तरह अपने को संभाली कि उसके एकलौते पुत्र तिलकचंद चैधरी की मौत टीकापट्टी में सडक दुर्घटना में हो गयी। वह किसी प्रकार संभली कि उसके धूसर गांव के दामाद की हत्या कर दी गई। छोटी पुत्री सजनिया की किसी प्रकार अपनी बडी पुत्री के रिश्तेदार के यहां धूसर गांव में ही शादी कर दी। जब वह अकेली रह गई, तब उसकी छोटी पुत्री सजनिया उसे धूसर गांव लेकर चली गई तथा वहीं अपने साथ रखने लगी। इधर भगवान को कुछ और मंजूर था।
उसके बाद पिछले साल उसकी बडी पुत्री बदमिया की अचानक मौत हो गई। वह टूटती चली गई, बस अब उसका सहारा उसकी छोटी पुत्री सजनिया ही थी। इधर प्रसव के दौरान सजनिया की भी मौत हो गई। इस तरह से भगवान ने जिस प्रकार उसकी गोद में तीन-तीन औलादें देकर उसे खुशियां दी थीं, ठीक उसी प्रकार उसके पति सहित तीनों औलादों को छिन लिया। अब उसे देखनेवाला कोई नहीं है। आंखों से ठीक से दिख नहीं रहा है, बस भटकती रहती है। कुल मिलाकर फूलो देवी के दुख को देखकर हरकोई के आंखों से आंसू आ ही जाते हैं। लोग कहते हैं कि भगवान ऐसा दुख देने से पहले किसी को भी दुनिया से उठा ही लें तो बेहतर है।