RAJASTHAN, बाड़मेर: ‘‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’’ जैन धर्म में क्षमा को सबसे उतम माना गया है। जिसको लेकर शुक्रवार को जैन श्रीसंघ, बाड़मेर की ओर से श्री जिनकान्तिसागर सूरी आराधना भवन में गणिवर्य प. पू. कमलप्रभ सागरजी मसा, प.पू. साध्वीश्री कल्पलताश्री जी मसा व प. पू. साध्वीश्री डॉ. सम्पूर्णयशाश्रीजी मसा आदि ठाणा की पावन निश्रा एवं संघ वरिष्ठ श्रावक, सीए श्री मोहनलाल के मुख्य आतिथ्य में सकल संघ का सामूहिक क्षमापना दिवस कार्यक्रम आयोजित हुआ। जैन श्री संघ, बाड़मेर के महामंत्री किशनलाल वडेरा ने बताया कि संकल संघ के सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम दिवस का आगाज विद्वान संत, गणिवर्य प. पू. कमलप्रभ सागरजी मसा के मुखारविन्द से मंगलाचरण, नवकार स्मरण व समाज के गणमान्य अतिथियों द्वारा तीर्थंकर परमात्मा श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कार्यक्रम की अगली कड़ी में मुख्य अतिथि संघ के वरिष्ठ श्रावक व सीए मोहनलाल बोहरा, कार्यक्रम में पधारे धाट माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष ताराचन्द भूतड़ा व आरएसएस के विभाग प्रचारक मनोहरलाल बंसल का बहुमान किया गया। कार्यक्रम में साध्वीश्री महतप्रभाश्रीजी मसा ने क्षमा गीतिका प्रस्तुत की वहीं जैन भजन गायक अशोक बोथरा नवकार मंत्र प्रस्तुत किया।
विद्वान संत, गणिवर्य प. पू. कमलप्रभ सागरजी मसा ने मंगल प्रवचन में कहा कि समाज व परिवार में विभाजन, अलग-अलग होना लम्बे अन्तराल के बाद की एक प्रक्रिया और व्यवस्था है, लेकिन उसमें विवाद की अवस्था बेहद घातक है। हमें इस बात को समझना पड़ेगा। गणिवर्यश्री ने कहा कि जीवन में क्षमा से बढ़कर कुछ भी नही है, जो समस्त प्राणियों के लिए श्रेयस्कर व हितकर हो। रिश्तों में मिठास के लिए क्षमा सबसे कारगर उपचार व दवाई है। क्षमा वर्तमान की समस्याओं का आधारभूत समाधान है। कार्यक्रम में साध्वीश्री कल्पलताश्री जी मसा ने कहा कि क्षमापना के वास्तविक स्वरूप को हमें अपने जीवन में उतारना होगा। बिल्कुल विनम्र होकर क्षमा मांगना और क्षमा कर देना ही महावीर की क्षमा का सच्चा स्वरूप होगा। साध्वीश्री ने हमें मन में बंधी राग व द्वेष की गांठों को खोलना होगा। कार्यक्रम में साध्वीश्री डॉ. सम्पूर्णयशाश्रीजी मसा ने कहा कि क्षमायाचना को हमें औपचारिकता के आड़म्बर से बचाना होगा। हमें सही मायनों में उत्कृष्ट क्षमा जैसे भाव को जीना होगा और प्राणीमात्र के कल्याण में लगाना होगा। साध्वीश्री ने कहा कि हमें हर स्थिति में क्षमाशील बने रहना है, भले ही सामने वाला बुराई के पथ पर हो , हमें अपना पथ नही छोड़ना है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सीए मोहनलाल बोहरा ने कहा कि हम सब भगवान महावीर की क्षमावाणी को जीवन में उतारें और अपने जीवन को कल्याण के पथ पर प्रशस्त करें। कार्यक्रम में उद्बोधन की कड़ी में जैन श्री संघ, बाड़मेर के अध्यक्ष एउवोकेट अमृतलाल जैन ने संकल संघ का स्वागत करते हुए मिच्छामि दुग्गडम करते हुए अपनी बात रखी। कार्यक्रम में तेरापंथ धर्मसभा की ओर से गौतम बोथरा, स्थानकवासी श्रावक संघ व हाटोवाला समाज की ओर से युवा वक्ता जितेन्द्र बांठिया, अचलगच्छ संध की ओर से जेठमल सिंघवीं, खरतरगच्छ संध की ओर से अशोक धारीवाल व दिगम्बर जैन समाज की ओर से पारस कुमार गंगवाल सहित कई वक्ताओं ने क्षमापना पर अपने-अपने विचार रखें और सबको क्षमाशील बनने का आह्वान किया। इसी कड़ी में जौधपुर पार्श्व पदमावती धाम की ओर से चन्दबाला व राष््रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक मनोहरलाल बंसल ने भी अपने-अपने प्रखर उद्बोधन प्रस्तुत किये और समसामयिक विशयों पर गौर करने की बात कही। कार्यक्रम में जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के ट्रस्टी प्रो. सम्पत कुमार जैन ने अपनी बात रखते हुए आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन संघ के महामंत्री किशनलाल वडेरा ने किया। जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के इस क्षमापना दिवस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सकल जैन समाज के गणमान्य नागरिक व माताएं-बहिनें उपस्थित रहीं।