सहरसा/अजय कुमार : मैथिली की अग्रणी संस्थान चेतना समिति द्वारा राजधानी पटना में विदुषी उभय भारती का जयंती समारोह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लगभग पांच घंटे तक चले इस कार्यक्रम की शुरुआत पल्लवी मिश्र के जय जय भैरव गोसाउनि के गीत से शुरू हुआ।निधि ने वायलिन प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए विद्वानों ने सर्व प्रथम उभय भारती के फोटो पर पुष्प अर्पित किया।
इसके बाद चेतना समिति की अध्यक्षा निशा मदन झा, सचिव उमेश मिश्र एवं सभी सदस्य गण ने विद्वानों का मंच पर पाग चादर से सम्मानित किया। साथ ही एक स्मारिका भी दिया। इसके बाद विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए विद्वानों द्वारा द्वीप प्रज्वलित किया गया।इस जयंती समारोह में सेंट्रल यूनिवर्सिटी पूरी, ओडीशा से डा उदय नाथ झा, सेंट्रल यूनिवर्सिटी पूरी,ओडीशा से डा गौर प्रिया दास,कोलकाता से पुरातत्व विभाग पूर्वी क्षेत्र के पूर्व निदेशक डा फणिकांत मिश्र, महिषी गांव से शिक्षा विद सह मैथिली अभियानी दिलीप कुमार चौधरी एवं बलुआ सुपौल से प्रमील मिश्र विद्वान वक्ताओं ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।
मंच पर आयोजन समिति के तरफ से सर्वप्रथम शिक्षाविद दिलीप कुमार चौधरी को आमंत्रित किया गया। विदित हो जो पंडित मंडन मिश्र एवं उभय भारती के गांव से आए श्री चौधरी के संबोधन को लेकर विद्यापति हाल के लोग काफी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। दिलीप कुमार चौधरी ने अपने संबोधन में कहा आज मुझे आत्म गौरव की अनुभूति हो रही है।
साथ ही समग्र मिथिला के लोग भी इस ऐतिहासिक जयंती समारोह से आत्म सम्मान का अनुभव कर रहे होंगे। श्री चौधरी ने आगे कहा संस्कृति विश्वधारा इस वेद वाक्य को यथार्थ रूप देनेवाली महिला शक्ति का आधार है । नारी उर्जा का स्रोत है।यही देवी के रुप में प्रेरणा का बीज है। भारतीय नारी को इस अनुपम असीम अमूल्य स्वरूप को रूपांतरित करते हुए परब्रह्म भी नारी के रूप में विभिन्न अवतार ग्रहण करते हुए इसका महत्व साकार करते हैं।डा उदय नाथ झा ने कहा मंडन मिश्र एवं विदुषी उभय भारती दुर्लभ व्यक्तित्व है। हमारे मिथिला के विद्वानों का दर्शन के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान है।
आज चेतना समिति द्वारा उभय भारती का जयंती समारोह मनाया जाना मिथिला के लिए गौरव की बात है। इसके लिए अध्यक्षा निशा मदन झा, सचिव उमेश मिश्र, सदस्य गण विशेष रूप से दिलीप जी का योगदान उल्लेखनीय है।आगे उन्होंने कहा मैंने भारती के जयंती तिथि का निर्धारण कई ग्रंथों के आधार पर निश्चित किया गया जो कि आसान नहीं था।प्रखर वक्ता डा फणिकांत मिश्र जी ने कहा उभय भारती जयंती मनाने का जो ऐतिहासिक निर्णय निशा मदन झा ने लिया वो काबिले तारीफ है।आगे उन्होंने कहा भारती पर लिखित सामग्री बहुत कम है। मैंने फिर भी विश्वविद्यालयों में जाकर कई जानकारीयां विदुषी भारती के बारे में इक्कठा किया जो अद्भुत है।हमें मंडन भारती पर गौरव है आगे उन्होंने कहा मिथिला के लोग छिद्रान्वेषन से परहेज़ करें।ऐसा करने से मिथिला के धरोहर का नुक़सान होगा।
सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रही उड़ीसा के सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सर्वदर्शन विभाग की प्रो डा गौर प्रिया दास जिसने अपना वक्तव्य संस्कृत में दिया।उन्होंने कहा मैं पहली बार उभय भारती जयंती समारोह में आकर मिथिला के विद्वानों के बीच में अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मिथिला प्राचीन काल से ही ज्ञान और दर्शन का गढ़ रहा है। मैं धन्य हो गई मिथिला के विद्वानों के साथ मंच साझा करके । उभय भारती नारी चरित्रों में सर्वश्रेष्ठ हैं।महिषी गांव के साथ साथ मिथिला के लोगों को पं मंडन मिश्र एवं उभय भारती गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। हमलोग उड़ीसा में भी मंडन और भारती को श्रद्धा से याद करते हैं। उभय भारती सरस्वती की अवतार है। उनका हम सभी को सम्मान करना चाहिए । प्रमील मिश्र ने भी मंडन भारती पर अपना वक्तव्य दिया।
मंच का संचालन मैथिली साहित्य के प्रकांड विद्वान प्रो कमल मोहन चुन्नू ने किया । उन्होंने ने भी उभय भारती की जयंती समारोह पर अपना उदगार व्यक्त किया।अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन में निशा मदन झा ने सभी विद्वानों के प्रति आभार प्रकट किया साथ ही उन्होंने आगे भी भारती जयंती समारोह मनाने की प्रतिबद्धता जाहिर की विशेष रूप से दिलीप कुमार चौधरी को इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में चेतना समिति के कोषाध्यक्ष ने धन्यवाद ज्ञापन किया।साथ ही सभी विद्वानों के प्रति आभार व्यक्त किया।