SAHARSA NEWS अजय कुमार,सहरसा : नेपाल के गढ़ीमाई महोत्सव से पहले, भारत की पूर्व सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता,पीपल्स फॉर एनिमल्स की फाउन्डर मेनका गांधी और ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल इंडिया ने नेपाल के उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव से महोत्सव में शामिल न होने और इसका उद्घाटन न करने की अपील की है।ज्ञात हो कि उपराष्ट्रपति के 2 दिसंबर की सुबह हेलीकॉप्टर से महोत्सव स्थल पर पहुंचने और बलि के चरण का उद्घाटन करने की खबर है।मेनका गांधी ने उपराष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में उनसे इस आयोजन में भाग न लेने का आग्रह किया और 2016 के नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का पालन करने का अनुरोध किया। जिसमें पशु बलि को अनुचित ठहराया गया था। इसके बावजूद, गढ़ीमाई महोत्सव के दौरान यह क्रूर परंपरा जारी है। जिसमें 2019 में लगभग ढाई लाख जानवरों की निर्मम हत्या की गई थी।ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकर्ता भारत-नेपाल सीमा पर तैनात हैं ताकि अवैध रूप से नेपाल ले जाए जा रहे जानवरों को रोकने में अधिकारियों की मदद कर सकें।नेपाल के बरीयारपुर जिले में हर पांच साल में आयोजित गढ़ीमाई महोत्सव दुनिया का सबसे बड़ा पशु बलि आयोजन है, जहां हजारों पशुओं जिनमें भैंस, बकरी, सुअर, कबूतर और मुर्गियों की बलि देवी गढ़ीमाई को प्रसन्न करने के लिए दी जाती है। महोत्सव में मारे जाने वाले पशुओं का एक बड़ा हिस्सा भारत के बिहार व उत्तर प्रदेश से होते हुए अवैध रूप से नेपाल ले जाया जाता है। जिनमें से अधिकांश पशु बिहार राज्य से आते हैं।
मेनका गांधी ने उपराष्ट्रपति को संबोधित अपने पत्र में लिखा है कि मैं नेपाल की सांस्कृतिक परंपराओं का गहरा सम्मान करती हूं, लेकिन साथ ही हमें पशु संवेदनशीलता और हमारे साझा सभ्यताओं की करुणा जैसे मूलभूत सिद्धांतों पर बढ़ती वैश्विक सहमति को भी स्वीकार करना चाहिए। इस महोत्सव के दौरान जानवरों का सुनियोजित सामूहिक वध हमारे जीवन, पीड़ा और नैतिक जिम्मेदारी की समझ के विपरीत है। गढ़ीमाई महोत्सव के उद्घाटन समारोह में भाग लेने से, आप ऐसे कार्यों को बढ़ावा देते हुए देखे जाएंगे जो आपके देश के माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हैं। आपका उपराष्ट्रपति का पद मात्र प्रशासनिक जिम्मेदारी से परे है। यह नैतिक नेतृत्व की मांग करता है जिसमें साहस, दूरदर्शिता और नैतिक प्रतिबद्धता का समावेश हो।उधर ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल इंडिया की निदेशक अलोकपर्णा सेनगुप्ता ने भी उपराष्ट्रपति से अपील की है कि वे जानवरों और गरीब भक्तों के शोषण को बढ़ावा न दें। मालूम हो कि मंदिर समिति उन भक्तों से हजारों रुपये वसूलती है जो बलि के लिए जानवर नहीं लाते हैं। मुख्य मैदान में मारे जाने वाले प्रत्येक भैंस के लिए 500 रुपये की फीस भी ली जाती है।
सेनगुप्ता ने उपराष्ट्रपति से अपील करते हुए कहा कि वे गढ़ीमाई महोत्सव में उपस्थित होकर पशु बलि का प्रोत्साहन न दें, बल्कि इस महोत्सव का बहिष्कार करें और नेपाल के माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करें। गढ़ीमाई पशु क्रूरता और मानव शोषण के लिए कुख्यात है। यह अत्यंत शर्मनाक है कि गढ़ीमाई मंदिर समिति गरीब लोगों की उम्मीदों, डर और निराशा का शोषण अपने लाभ के लिए कर रही है। नेपाल सरकार को परंपरा के नाम पर सैकड़ों हजारों लोगों और जानवरों के शोषण से बचाना चाहिए। अगर गढ़ीमाई मंदिर अपनी प्रतिष्ठा और धन बढ़ाना चाहता है, तो उसे यह दया और प्रगति के स्तंभों पर करना चाहिए।संस्था के सदस्यों द्वारा पशु को सीमा पर इस पार से उस पार ले जाते हुए श्रद्धालु को जहां कानूनी तरीके से रोकने की कोशिश की जाती है वहीं दूसरी ओर उन्हें इसके अन्य विकल्प का प्रयोग करने का आग्रह किया जाता है। सदस्यों में शिखा जैन, आक्राप्रवर भार, मिसी अग्रवाल, आदित्य मोहन गुप्ता, राजीव कुमार, कोरिट्टा मिंज, संजीत कुमार,रमेश अनप्पा व अन्य उपस्थित थे।