सहरसा, अजय कुमार: SAHARSA NEWS मिथिला की धरती पर प्रतिदिन व्रत-उपवास, पर्व त्यौहार एवं उत्सव का आयोजन किया जाता है। दुर्गा पूजा, भैया दूज, गोवर्धन पूजा,चित्रगुप्त पूजा, छठ पर्व समापन के बाद आंवला नवमी, देवोत्थान एकादशी के साथ साथ सामा चकेवा पर्व की तैयारी की जा रही है। सामा चकेवा का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम पर आधारित है। जो यह प्रथा द्वापर युग से चली है। यह भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से संबधित है। इस पावन पर्व पर मैथिली गायक संजीत कश्यप द्वारा नये सामा गीत रिलीज किया गया है। श्री कश्यप ने बताया कि गीतकार विमल मिश्र लिखित कोन कारण कृष्ण अपने सुपूत्री सामा को श्राप दिय।
पौराणिक मान्यता एवं लोकजीवन के महत्व को रेखांकित करती है। वही इस पर्व से एक ओर भाई-बहन के अटूट प्रेम की सीख मिलती है। साथ ही बिना सच्चाई एवं वास्तविक सत्यापन ना हो तब तक किसी दूसरे की बात सुनकर महत्वपूर्ण निर्णय नही लेनी चाहिए। श्री कश्यप ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को किसी चुगलखोर ने उनकी पुत्री समा के बारे में अनाप-शनाप अनर्गल शिकायत कर दी। जिसके कारण श्रीकृष्ण ने सामा को पक्षी बन जाने का श्राप दे दिया।
इस बात की जानकारी उनके भाई चक्रवाक को ज्ञात हुई तो उन्हें अपार दुख हुआ। उन्होने कठोर तपस्या कर अपनी बहन को पक्षी योनि से मुक्ति दिलाई। इसलिए सामा चकेबा का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व छठ समापन के दिन सामा की मूर्ति बनाकर महिलाए रात्रि मे सामा चकेवा का गीत गायन कर खेलती है। इस पर्व का समापन कारुणिक वातावरण में कार्तिक पूर्णिमा की रात समापन किया जाता है।