सहरसा, अजय कुमार: SAHARSA NEWS भारतीय संविधान के प्रारूप अथवा मसौदा समिति के अध्यक्ष भारत के प्रथम विधि मंत्री डॉ भीमराव अंबेडकर के 125वीं जन्मोत्सव पर बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने संविधान गौरव अभियान का आयोजन करते हुए संविधान के लागू होने के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में देश के जनसाधारण तक डॉ अंबेडकर के राष्ट्र निर्माण में योगदान तथा उनका वांछित सम्मान प्रदान करने हेतु 26 दिसंबर से 25 जनवरी तक देश व्यापी कार्यक्रमों की शुरूआत “संविधान गौरव”अभियान” कर चुकी है।इन कार्यक्रमों द्वारा वर्तमान एनडीए सरकार संविधान के शिल्पकार डॉ आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है। डॉ आंबेडकर जिस प्रतिष्ठा के हकदार थे। वैसा सम्मान पूर्ववर्ती सरकारों ने उन्हें प्रदान नहीं किया क्योंकि कांग्रेस की सरकारें भारत की समस्त उपलब्धियों को हासिल करने का श्रेय सिर्फ गांधी नेहरू परिवार को देना अपना परम पुनीत कर्तव्य समझकर अन्य राष्ट्र नायकों के साथ उपेक्षापूर्ण एवं पक्षपात पूर्ण रवैया दर्शाती रही। बाबा साहेब आंबेडकर कांग्रेसी कोपदृष्टि का शिकार इसलिए भी हुए क्योंकि वे राष्ट्रहित में नेहरू की सभी बातों का समर्थन नहीं करते थे। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्र विभाजक नीतियों का उन्होंने विरोध किया था इसलिए पुरानी संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में उनकी प्रतिमा नहीं लगाकर उनका अपमान किया गया।
कांग्रेस की संकुचित एवं अनुदारवादी नीतियों के तहत 1990 तक उन्हें भारत रत्न सम्मान से भी वंचित रखा गया। भाजपा समर्थित विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार द्वारा उन्हें भारत रत्न प्रदान कर एक हद तक डॉ आंबेडकर को प्रतिष्ठित किया गया। 2014 मई में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के उपरांत ही बाबा साहब की विरासत को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में व्यापकता से प्रसारित किया गया। डॉ आंबेडकर से जुड़े सभी पांच स्थानों को पंचतीर्थ का स्वरूप प्रदान करने के उद्देश्य से स्मारक निर्मित किए गए। यहां तक कि लंदन, ब्रिटेन के उनके प्रवास स्थान को स्मारक का दर्जा प्रदान किया गया। भारतीय संविधान की आत्मा के परिभाषक एवं ज्ञाता डॉ साहेब कभी भी जम्मु एवं कश्मीर में धारा 370 के पक्ष में नहीं थे लेकिन उनके विचार को दरकिनार कर नेहरू जी द्वारा संविधान में इस धारा को जोड़ा गया। जिसके कारण दलित एवं वंचित वाल्मीकि समुदाय को कश्मीर में मताधिकार के प्रयोग से भी रोका गया। साथ ही साथ भारतीय संविधान 5 अगस्त 2019 से पहले अपने आत्मा और स्वरूप के साथ लागू ही नहीं हो पाया।अंबेडकर का विरोध और अपमान जैसे कांग्रेस की नीति ही बन गई थी फलस्वरूप न सिर्फ उन्हें कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा बल्कि नेहरूजी ने उन्हें लोकसभा के आमचुनाव चुनाव 1952 में पराजित करने हेतु उनके विरुद्ध अभियान चलाया और प्राप्त मतों से 15000 के करीब मतों को निरस्त भी करवाया था ताकि वो लोकसदन की सभी कार्यवाहियों से हमेशा के लिए दूर हो जाएं।
डॉ आंबेडकर की भावना के विरुद्ध कांग्रेस की सरकारों ने व्यक्तिगत अथवा पार्टी हित में संविधान का 80 बार संशोधन किया जबकि नरेंद्र मोदी की एन डी ए सरकार द्वारा सिर्फ राष्ट्र हित में 8 बार ही संविधान संशोधन किया गया। कांग्रेस की सरकारों द्वारा 91 बार धारा 356 का दुरुपयोग कर लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित राज्य सरकारों को बर्खास्त किया गया जबकि वर्तमान सरकार द्वारा सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही तथा डॉ अंबेडकर की भावना के अनुरूप 10 बार ऐसा किया गया। कांग्रेस की सरकारों ने देश के संविधान को अपनी निजी स्वार्थों के पूर्ति हेतु उपयोग किया जबकि नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे राष्ट्र हित में प्रयोग करते हुए 2018 ओबीसी कमीशन को समवैधानिक दर्जा, जम्मू कश्मीर की विधानसभा में दलितोंको 7 सीट एवं आदिवासियों को 9 सीट प्रदान किया।साथ ही साथ गरीब सवर्णोंको 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ महिलाओं को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत लोकसभा एवं विधान सभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया।
इतना ही नहीं देश की वर्तमान सरकार ने ही नीट, केंद्रीय विद्यालयों एवं नवोदय विद्यालयों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर पिछड़े तबके को सशक्त करने का काम किया। कांग्रेस की सरकारों ने कभी भी सर्वोच्च न्यायालय में दलित न्यायाधीशों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया लेकिन मोदी सरकार ने 3 दलित समुदाय के न्यायाधीशों को कार्यरत किया। वही आदिवासी महिला राष्ट्रपति, सीएजी तथा रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सहित भगवान विरसा मुंडा के जन्म दिन 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में 2021से मनाने की शुरुआत नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने किया है। बाबा साहब के सपनों के भारत के निर्माण एवं विकास का काम सच्चे अर्थों में शुरू हुआ है क्योंकि गरीब, वंचित, दलित एवं आदिवासी समाज के लोग राष्ट्र निर्माण की मुख्यधारा झ से जुड़कर सर्वांगीण उत्थान के प्रति एकजुट एवं जागरूक हो रहें हैं। साथ ही 26 दिसंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय एनडीए सरकार का बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है।