खगड़िया,अभय कुमार सिंह : खगड़िया की शिक्षिका सह लेखिका स्वराक्षी स्वरा द्वारा रचित ‘उच्चल’ गजल-संग्रह सभी वर्ग के लोगों के दिलों में उतरती दिख रही है । इस गजल-संग्रह को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं । इसको लेकर भागलपुर के कथा काव्यधारा के संपादक उमाकांत भारती ने गजलकार स्वराक्षी स्वरा शिक्षिका द्वारा रचित ‘उच्चल’ गजल-संग्रह की प्रशंसा करते हुए कहा कि सबसे पहले तो इस गजल-संग्रह पुस्तक का आवरण पर छपी तस्वीर ने उन्हें आकर्शित किया है। तस्वीर इतनी आकर्षित करनेवाली है कि उसपर से नजरें हटाना मुश्किल हो रही थी । आवरण पर जलाशय में बिना नाविक के नाव पर सवार एक अकेली युवती तथा उसकी नजरें जलाशय के उस पार टिकी हुई, बहुत-कुछ बयां कर रही थीं । प्रकृति की खुबसूरती उसकी नजरों के सामने है, क्षितिज पर झुकता हुआ सूरज साफ-साफ दिख रहा है, इससे स्पष्ट दिख रहा है कि प्रकृति की सुंदरता से सुंदर कुछ भी नहीं है । इस तस्वीर में एक और बात सामने आ रही है कि इसमें अगर नहीं दिख रहा है तो उस युवती का चेहरा । सच यह है कि कि जब किसी व्यक्ति का चेहरा दिखाई नहीं दे, तो उसे देखने की मन में तीब्र इच्छा उत्पन्न हो जाती है । इस तरह पुस्तक का आवरण अपने-आप में भी बहुत-कुछ संदेश दे जाता दिख रहा है । ठीक इसी तरह इस पुस्तक के पेज पांच पर रचयिता ने इस पुस्तक को अपने गुरूओं को समर्पित किया है, जिससे यह शिष्टता स्पष्ट दिख रही है कि एक शिक्षक का सम्मान, एक शिक्षिका कितनी खुबसूरती से कर रही हैं । ठीक इसी तरह इस गजल-संग्रह पर मुंगेर के प्रसिद्ध गजलकार अनिरूद्ध सिंह भी पेज 11 पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए लिखा है कि स्वराक्षी स्वरा प्रेम की कवियत्री हैं, जिनके प्रेम में सिर्फ मांसलता नहीं, बल्कि उनमें घर, परिवार तथा जीवन के शाश्वत सौंदर्य की खुशबू है ।
ठीक इसी तरह कोलकाता के प्रसिद्ध लेखक रामनाथ बेखरब ने भी प्रमाण के साथ अपनी समीक्षात्मक टिपण्णी की है । इनके अलावा लेखक मुकेश कुमार सिंह ने भी प्रशंसा में लिखा है कि स्वराक्षी स्वरा के गजलों में सौंदर्य बोध के साथ-साथ उनकी गजलों में काम मंथन कर पाठकों के सामने मक्खन परोस दिया है । इस गजल-संग्रह की प्रायः सभी गजलें अच्छी हैं, इसमें सत्य का दर्शन होता है । समाज, राष्ट्र एवं सबके लिए इसमें बहुत-कुछ है । इन गजलों में कुछ ऐसी पंक्तियां हैं, जिसे पढ़ने के बाद मन गुदगुदाता ही नहीं है, बल्कि समाज, देश के लिए कुछ करने की अंगडाईयां भी हिलोरें मारने लगती हैं । इसमें ‘ है दोबारा जन्म लेना ऐ स्वर, इस देश में सरहदों पे ऋण चुकाने आ गई हूं आज फिर’, साथ जिसने दिये थे बुरे वक्त में, रोज एहसान अब हैं जताने लगे, हमारे देश की हालत दिनों-दिन बिगड़ जाती हैं, अब अपने देश हित में सभी मिलके दुआ कर दें, जहां में नहीं है लहू की भी कीमत, बहुत सस्ता है अब लहू को बहाना, नहीं जान की अपनी परवाह मुझको, दिलों जां वतन पर फिदा हम करेंगे, यहां सब के चेहरे पर दहशत रवां है, बहा प्रेम रस सबको गुलजार कर दे, लोग अच्छे बहुत हैं दुनिया मंे, हर शक्स बुरा नहीं होता, प्यार मिलता तभी प्यार बांटोगे, जब प्यार आधार है हर खशी के लिए, इस तरह उनके गजल-संग्रह में अनेक गजले समसायिकी हैं । इतना ही नहीं, इसकी भाषा भी ऐसी है कि हरवर्ग के लोग इसे आसानी से पढ़ एवं समझ सकते हैं । वह इतनी बेहतरीन गजल-संग्रह के लिए साधुवाद देते हैं तथा आशा करते हैं कि वह आगे भी अपनी लेखिनी के माध्यम से इस समाज, इस देश का मार्गदर्शन करती रहेंगी । लेखिका स्वराक्षी स्वरा किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं, राष्ट्रीय स्तर पर वह वर्षों से साहित्यिक गोष्ठियों, समारोहों में इनकी गौरवशाली उपस्थिति होती रही है ।