पूर्णिया: आज पूर्णिया यूनिवर्सिटी में बृहद दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ। बहुत सारे छात्र-छात्राओं के क्या चिर प्रतीक्षित सपने पूरे हुए। एक नए माहौल में नई वेशभूषा तथा नई व्यवस्था के बीच सम्मान पाने पर सभी के होठों पर मुस्कान थे और मन प्रफुल्लित था। विभिन्न विषयों में विभिन्न छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। परंतु पूर्णिया यूनिवर्सिटी के पहले शोधकर्ता इतिहास विषय में पूर्णिया के ही प्रभात कुमार सिंह बने और उन्हें डिग्री तथा गोल्ड मेडल राज्यपाल राजेंद्र अरलेकर द्वारा प्रदान किया गया। इस उपाधि के मिलने के बाद उनके परिवार तथा दोस्तों में काफी खुशी है। प्रभात कुमार सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैं पूर्णिया जिला के बनमनखी अनुमंडल के देवोत्तर गांव का निवासी हूं। मैने अपने मैट्रिक की पढ़ाई बनमनखी के सुमरित उच्च विद्यालय से की, उसके बाद मैं आगे की पढ़ाई पटना के DPCM( MILLAR) से इन्टर की पढ़ाई पूरी की तत्पश्चात मैने मगध विश्वविद्यालय के अनुग्रह नारायण सिंह कॉलेज पटना से आगे की पढ़ाई पूरी की। प्रभात कुमार सिंह कहते हैं कि इसके बाद मैने यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली में अध्ययन अध्यापन किया। यूपीएससी की परीक्षा में अंतिम रूप से सफल न हो पाने के कारण मैं पूर्णिया लौट गया। यहां मैने पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया में पीएचडी हेतु प्रतियोगिता परीक्षा उत्तीर्ण किया तथा 2019 में मेरा पीएचडी में नामांकन हुआ।
पूछने पर कहते हैं कि पूर्णिया वासी होने के नाते मैंने पूर्णिया जिला के सामाजिक तथा आर्थिक जीवन के अध्ययन विषय पर अपना शोध कार्य पूर्ण किया। सीमांचल में पूर्णिया का एक अपना अलग महत्व है और इसकी भौगोलिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति कुछ खास है। मुझे लगता था कि पूर्णिया के भूत वर्तमान का अध्ययन कर इसकी महत्ता को समझा जाए जो आगे चलकर पूर्णिया के विकास में अपना योगदान दे सके। आज पूर्णिया विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में मुझे महामहिम राज्यपाल महोदय के हाथों पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई जिससे मैं काफी खुश हूं तथा अभीभूत हूं। इस शोध प्रबंध को तैयार करने में मुझे मेरे शोध निदेशक डॉक्टर हरेंद्र कुमार सिंह प्रिंसिपल (के बी झा कॉलेज) कटिहार तथा पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया के इतिहास विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ अरविंद कुमार वर्मा सर का मुझे अच्छा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस शोध प्रबंध को तैयार करने में मुझे और भी कई विद्वानों का मार्गदर्शन तथा आशीर्वाद प्राप्त हुआ। मैं उन सभी के प्रति आभारी हूं जिन्होंने मुझे सहयोग किया। मैं विश्वविद्यालय का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
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