पूर्णिया/रूपौली/अभय कुमार सिंह : टीकापटी थाना क्षेत्र के पुरानी नंदगोला गांव का महादलित मुसहरी टोला का आजतक भाग्य नहीं बदल पाया तथा आज भी वहां के ग्रामीण बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं । दूर्भाग्य के वहां पहूंचने के लिए सूखे में चचरी एवं बरसात में नाव ही सहारा होता है । ना जाने कितनी बार इस गांव की सूरत बदलने के लिए नेताओं ने हर चुनाव में वादे किये, परंतु जीतने के बाद उनकी ओर झांकने तक नहीं गए ।
मुख्यालय से लगभग बीस किलोमीटर दूर कारी कोसी एवं बिहार की शोक कही जानेवाली कोसी नदी के बची में बसे इस गांव की आवादी लगभग तीन सौ है । ये सभी महादलित वर्ग से आते हैं । इस गांव तक पहूंचने के लिए चचरी ही सहारा होता है, जबकि बरसात के दिनों में इनका सहारा नाव ही होती है । बरसात में ये लगभग पानी में डूबे ही रहते हैं तथा किसी प्रकार अपनी जिंदगी जीते हैं । यहां बाढ आए या नहीं आए, इनका डूबना तय माना जाता है ।
जबकि हरवर्ष बाढ में डूबने के बाद भी जबतक पूरे प्रखंड में बाढ नहीं आती है, इन्हें राहत नहीं मिलती है । दूर्भाग्य है कि इस टोले में सडक भी नहीं है । सूखे दिनों में लोग कच्ची सडक से ही गुजरते हैं । जबकि इस दियारा में पुरानी नंदगोला गांव के सभी किसानों की जमीन इसी पार है, नदी पर पुल नहीं रहने से बस एक ही फसल रबी ले पाते हैं । पूर्व मुखिया सुनीता देवी, मयंक कुमार, मिथिलेश साह आदि ने बताया कि उनके गांव की सभी जमीनें उसी पार मुसहरीटोला के आगे दियारा में है।
मुसहरीटोला के लोगों को तो परेशानी होती ही है, परंतु उनके साथ-साथ उन किसानों को भी काफी परेशानी का सामना करना पडता है । खासकर अपनी फसल लाने के लिए सिर पर ही ढोकर लाना पडता है । कुल मिलाकर यहां के लोगों ने इस नदी पर पुल बनाने की मांग सरकार से की है, ताकि दियारा में रहनेवाले महादलित के साथ-साथ गांव के किसानों को भी राहत मिल सके ।