पूर्णिया/रूपौली/अभय कुमार सिंह : रूपौली प्रखंड में खीरा फसल किसानों के लिए अच्छी आमदनी एवं गारंटी फसल मानी जाती है, परंतु जब-जब चुनाव आते हैं, तब-तब यह खीरा किसानों को पीड़ा दे जाती है । चुनाव में वाहनों के पकड-धकड के कारण किसानों की आमदनी का अधिकांष हिस्सा भाडा में ही चला जाता है । पिछली बार किसानों को खीरा ने अच्छी आमदनी दी थी, जिससे किसान इसबार भी पूरे जोर-शोर से खीरा की फसल लगाई थी, परंतु ऐन फसल तैयार होने के समय ही लोकसभा का चुनाव आ गया तथा किसानों की आमदनी पर पानी फेर दिया।
यह बता दें कि प्रखंड का तेलडीहा गांव सब्जी उत्पादन का हब बनता जा रहा है । इसके आसपास के गांव गोडियर , शिसवा, तीनटंगा, हरनाहा, मेंहदी, धूसर आदि गांव भी केंदित हैं । यहां के किसान अब प्रायः सब्जी की खेती की ओर अग्रसर होने लगे हैं, इसमें एक तो समय कम लगता है, दूसरी ओर लागत से कई गुणा ज्यादा आमदनी की उम्मीद रहती है ।
यद्यपि कोरोना की मार लगातार यहां के किसानों ने झेला था तथा पिछले साल किसानों को उम्मीद से ज्यादा आमदनी हुई थी । यहां अभी बडे पैमाने पर खीरा की खेती हो रही है । यद्यपि इसमें काफी खर्च भी होती है । एक बीघा खीरा उपजाने में किसानों को लगभग पचास हजार रूपये की लागत आती है । इसबार खीरा पूरे चुनाव तक तीन रूपये किलो के हिसाब से बिकते रही, परंतु चुनाव के बाद इसके दर में काफी उछाल आया तथा आठ रूपये बिकने लगा, परंतु तबतक खीरा का उत्पादन 75 प्रतिशत कम हो गया ।
अब तो खीरा का अंतिम समय है । अगर चुनाव नहीं होता, तो जिस प्रकार इसबार भीशण गर्मी पडी है, उस परिस्थिति में तीन से साढे तीन लाख रूपये प्रति बीघा की आमदनी से कम नहीं होती । यह भी बता दें कि खीरा की फसल, आलू की साठ दिनों की फसल लगाने के बाद जनवरी के तीसरे सप्ताह में लगती है । इस फसल का उत्पादन 60 से 70 दिनों के बीच तैयार होने लगता है, जो रामनवमी के समय में जोर पकड लेता है तथा यह मई माह के दूसरे सप्ताह तक रहता है ।
इसके बाद किसान इसी में कदू की फसल को लगा देते हैं, जो लगभग तीन माह में वह भी तैयार होकर बिक जाती है । फिर किसान इसी में करैला की फसल लगा देते हैं । इस तरह किसान अपनी चार फसलों को ले लेते हैं । परंतु हरवर्ष कोई-न-कोई परेषानी किसानों के सामने आ जाती है । कुल मिलाकर इसबार यहां के किसानों को लोकसभा चुनाव ने दर्द दे दिया है । अब तो इसके खत्म होने का समय है, अब तो इसके उजड़ने के बाद दूसरी फसल की आमदनी पर ही आषा है ।
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