पूर्णिया/रूपौली/अभय कुमार सिंह : थाना क्षेत्र के बिरौली चपहरी सड़क मार्ग पर गैस गोदाम के पास पुत्री को परीक्षा दिलाकर सोमवार की शाम गोडियर गांव घर लौट रहे पुरोहित सुबोध ठाकुर पिता उपेंद्र ठाकुर उम्र 62 साल की सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बाद, उनकी मौत मंगलवार की सुबह पूर्णिया के निजी अस्पताल में हो गई है । उनका शव गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया है ।
इस संबंध में गांव के वार्ड सदस्य रामानंद महतो ने बताया कि सुबोध ठाकुर अपनी पुत्री को बनमनखी परीक्षा दिलाने गए थे । वे वहां से लौट रहे थे, तभी घर से महज चार किलोमीटर दूर बिरौली चपहरी सड़क मार्ग पर उनकी बाइक को अनियंत्रत्रित ठेला ने ठोकर मार दी, जिससे दोनों पिता-पुत्री घायल हो गए । इसमें पिता सुबोध ठाकुर को गंभीर चोट लगी थी । तत्काल स्वजनो ने उन्हें रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए तत्काल उन्हें पूर्णिया रेफर कर दिया गया था ।
उनका इलाज निजी अस्पताल में चल रहाथा, परंतु सुबह उनकी इलाज के दौरान ही मौत हो गई । मुखिया जानकी देवी, सरपंच हीरालाल मंडल, भाजपा नेता गोपाल गुप्ता, वार्ड सदस्य रामानंद महतो सहित सभी ने पीडित परिवार को पांच लाख रूपये मुआवजा देने की मांग की है ।
सात वचन निभाए बगैर चले गए, किसके सहारे छोड गए- गीता
सात वचन निभाए बगैर चले गए, किसके सहारे छोड गए । क्या इसी दिन के लिए सात वचन दिये थे । आखिर उसका क्या कसुर था । पत्नी गीता देवी अपने पति सुबोध ठाकुर के शव से लिपटकर लगातार रोये चली जा रही थी । पुरोहित सुबोध ठाकुर का शव गोडियर गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया । पत्नी गीता देवी, पुत्र राज सेंडिलिया, जयकुमार झा, संजय झा, अखिलेश झा, नीतीश झा सहित सभी स्वजन शव पहुंचते ही उनके शव से लिपटकर चित्कार कर उठे ।
सभी ने रोते-रोते कहा कि वेतो परीक्षा दिलाने गए थे, परंतु वापस उनका शव आया है । वे उन्हें अनाथ करके चले गए । पत्नी गीता देवी का तो रोते-रोते बुरा हाल था । वह बस पति के शव से लिपटकर चित्कार कर रही थी, क्या इसी दिन के लिए सात वचन लिये थे । बिना वचन निभाए ही चले गए । सात फेरे, सात वचन के सहारे ही तो वह उनके सहारे इस घर में आयी थी, आखिर उसका दोष क्या था, जो इतनी बडी सजा दे डाली। पत्नी गीता देवी की रूलाई देख सभी की आंखें नम थीं । किसी ने नहीं सोचा था कि हंसता-मुस्कुराता व्यक्ति अचानक उनके बीच से चला जाएगा ।