पटना: Munna Shukla Surrender बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो गया है जब पूर्व विधायक और आरजेडी नेता मुन्ना शुक्ला ने पटना कोर्ट में सरेंडर किया। बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में दोषी ठहराए गए शुक्ला के इस कदम ने राज्य की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सरेंडर के दौरान का दृश्य अत्यंत भावुक था। मुन्ना शुक्ला की आंखों में आंसू देखकर उनके समर्थकों की भी आंखें नम हो गईं। यह केवल एक व्यक्तिगत क्षण नहीं था, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं। शुक्ला के समर्थकों ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध का मामला बताते हुए चेतावनी दी कि आगामी विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
घटनाक्रम की शुरुआत शुक्ला के आवास से हुई, जहां से वे अपने समर्थकों के विशाल जनसमूह के साथ कोर्ट की ओर रवाना हुए। यह दृश्य उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक प्रभाव को दर्शाता है। कोर्ट पहुंचने पर शुक्ला ने मीडिया से बातचीत में अपने आप को राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार बताया, लेकिन साथ ही न्यायालय के आदेश के प्रति सम्मान भी व्यक्त किया। इस घटना ने बिहार की राजनीति में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आरजेडी की महिला सेल की प्रदेश उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोला, यह कहते हुए कि शुक्ला के आंसू नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक संकट पैदा कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लालगंज की जनता आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका बदला लेगी।
यह मामला 1998 में हुई बृज बिहारी प्रसाद की हत्या से जुड़ा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मुन्ना शुक्ला समेत छह लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। शुक्ला के सरेंडर से पहले उन्होंने अपने पैतृक गांव में एक बड़ी बैठक की, जहां उन्होंने अपने राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। यह घटनाक्रम बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस तरह से राज्य की राजनीति को प्रभावित करता है और क्या यह आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनता है। निश्चित रूप से, मुन्ना शुक्ला का सरेंडर एक सामान्य घटना नहीं है, बल्कि यह बिहार की जटिल राजनीतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय खोल सकता है।