कुछ NGO’s पर महादलित समुदाय को गुमराह करने का आरोप
पूर्णिया: Fake Bonded Labour Case जिले में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जहां कुछ गैर-सरकारी संगठनों द्वारा महादलित समुदाय के लोगों को कथित तौर पर झूठे वादों के साथ बंधुआ मजदूरी के फर्जी मामले तैयार करने का खेल खेला जा रहा है। यह मामला तब सामने आया जब 8 जनवरी को धमधाहा प्रखंड के निपानिया कुताय ऋषि देव टोला में बंधुआ मजदूरी की सूचना प्रशासन को मिली प्रशासनिक जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा सामने आया।जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल एक जांच टीम का गठन किया। जांच में पाया गया कि यह वास्तविक बंधुआ मजदूरी का मामला नहीं था, बल्कि कुछ निजी संस्थाओं ने आर्थिक मदद का लालच देकर लोगों से कागजों पर अंगूठा निशान ले लिया था। पीड़ितों ने स्वयं प्रशासन के समक्ष स्वीकार किया कि उन्हें एनजीओ वालों ने आर्थिक सहायता का झांसा दिया गया था।
पूर्व में भी बिहार के कई जिलों मे सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
अंग इंडिया न्यूज और हिन्दुस्थान समाचार के टीम की पड़ताल में सामने आया कि पूर्णिया के ढेंगा बस्ती दमेली और मीरगंज प्रखंड धमदाहा में भी इसी तरह के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। इन इलाकों में भी लोगों को इसी प्रकार के वादे किए गए, लेकिन आज तक किसी को कोई आर्थिक लाभ नहीं मिला। यह सिलसिला केवल पूर्णिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बिहार के अन्य जिलों में भी इसी तरह की घटनाएं प्रकाश में आई हैं। पूर्णिया के मीरगंज थाना क्षेत्र के दमेली गांव में 30 से 40 मुसहर जाति के परिवार है। उन लोगों के साथ भी उनकी गरीबी का फायदा उठाकर उनकी तस्वीरों को खींचकर जिला राज्य फिर दिल्ली उसके बाद विदेश तक मार्केटिंग कर एनजीओ के माध्यम से बड़ी फंडिंग उठाई गयी और उसका बंदर बांट किया गया। यह सारे कार्य करने में यह दिखाया जाता है कि इन गरीबों का हम लोग पुनर्वास कर रहे हैं। अंग इंडिया न्यूज और हिन्दुस्थान पिछले कई सालों से इस विषय की जांच पड़ताल मे लगी थी जिससे कई खुलासे हुए है। इसी क्रम मे हमारी टीम मीरगंज के ढेंगाबस्ती मे गई जिससे कई चौकाने वाली बाते उन पीड़ितों से बात करने पर सामने आई।
NGO’s की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
विशेष जांच में यह भी पता चला है कि एक विदेशी संस्था और पार्टनर एनजीओ / ट्रस्ट विशेष रूप से महादलित समुदाय को अपना निशाना बना रही हैं। इन संस्थाओं का मोडस ऑपरेंडी (मुख्य उदेश्य) है कि वे गरीब लोगों को आर्थिक सहायता का लालच देकर उनसे सादे कागज पर अंगूठा निशान ले लेती हैं। बाद में इन कागजों का दुरुपयोग किया जाता है। और यही यहां के सारे रिपोर्ट फोटो तस्वीरें वीडियो और कहानियों को बनाकर उस के विदेशों के बड़े-बड़े धन्ना सेठ को बड़े-बड़े दानदाताओं को दिखाते है कि हम लोगों ने ऐसा काम किया है आगे भी कर रहे हैं। जो पहले से चंदा देते हैं वह तो खुश हो जाते हैं और चंदा देते हैं तथा उन सभी रिकॉर्ड को दिखाकर नए चंदा देने वालों को खोजा जाता है और उनसे डॉलर में पैसा लिया जाता है। दूसरी बात विदेश में लोगों को पता चलता है कि बांडेड मजदूर की समस्या यानी बंधुआ मजदूर की समस्या इंडिया के बिहार झारखंड इत्यादि जगहों पर है और आज भी यह प्रथा चल रही है जिससे भारत की बदनामी दूसरे देशों में हो रही है। आगे के एपिसोड में बताया जाएगा कि तब फिर इन लोगों को बताया जाता है कि आप इस गरीबी से निजात कैसे पा सकते हैं।
अब अगर केवल यूएसए के ही अगर 5000 आदमी अगर एक-एक लाख डॉलर ही दिए तो वह $5 लाख डॉलर हो जाता है। बताते चले की यह संस्था अपने वेबसाइट पर सब लोगों के डोनेशन लिस्ट को प्रदर्शित करती है सारी दुनिया में लोग देखते हैं और दुनिया के कई हिस्सों से इन्हें डोनेशन मिल जाता है और यह सारा पैसा भारत में आता है बिहार में आता है बिहार के सीमांचल में आता है और सभी लोगों के बीच बंट जाता है अगर 50 करोड़ आया तो 40 से 45 करोड़ उनके पैकेट में जाता है और कुछ इधर-उधर के खर्चे में जाता है। परंतु जिन पीड़ितों के नाम पर बंधुआ मजदूरों के नाम पर जो पैसे आते हैं उसे आपस में ही बांट लिया जाता है, सोचिये ज़रा जिन्हें यूज कर इतने पैसे बटोरे जाते हैं उन्हें फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती और उनकी स्थिति बदतर ही रह जाती है। बाहर से जो भी डॉलर के रूप में पैसे आते हैं वह सभी ऊपर के संस्थाओं के FCRA अकाउंट में आते हैं। वह सभी संस्थाएं अपना कमीशन काटने के बाद इंडिया या बिहार के हिस्सों में संस्थानों में काम करने वाले लोगों के पास भेजे जाते हैं। बात यह है कि यह सारा कार्य कहां से होता है डीलिंग कहां से होती है।
सबसे बड़ी बात पूर्णिया फिर बिहार फिर दिल्ली उसके बाद विदेश की कड़ी में यह लोग प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर प्रशासनिक पेपर तैयार करवा लेते हैं और प्रशासन के लोग आंख बंद कर चाहे आंख बंद करने का कारण जो भी हो कागजों पर हस्ताक्षर करते चले जाते हैं और इन फर्जी संस्था में काम करने वाले लोगों को एक सर्टिफिकेट मिल जाता है और वह सर्टिफिकेट फिर उनके वेबसाइट और विदेशों में चल जाता है और यहां के गरीब थके चले जाते हैं भारत बदनाम होता चला जाता है और लोग अपनी धर्म जाति को छोड़कर दूसरे धर्म जाति की ओर प्रस्थान करने के लिए आकर्षित करने के बाद उधर झुकाव हो जाता है।
(बंधुआ मजदूरी पर स्पेशल स्टोरी पूर्णिया संवाददाता नंदकिशोर सिंह एवं अंग इंडिया न्यूज़ टीम द्वारा )