पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: PURNIA NEWS बालविकास परियोजना कार्यालय में भ्रष्टाचार को लेकर सोमवार को सेविकाओं ने किया जमकर हंगामा किया तथा भ्रष्टाचार से संबंधित एक आवेदन भी सीडीपीओ को सौंपा, परंतु जैसे ही पत्रकार को सीडीपीओ देखीं, वह वहां से भाग खडी हुईं। पत्रकार सेविकाओं द्वारा लगाए जा रहे आरोप से संबंधित सवाल पूछा जाता रहा, परंतु वह कार में बैठकर सिर्फ यह कहती रहीं कि सब गलत आरोप है तथा चल दीं। इधर सेविकाओं का नेतृत्व कर रहीं सेविका-सहायिका संघ की अध्यक्ष अनिता देवी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि बालविकास परियोजना कार्यालय पूरी तरह से भ्रष्टाचार से लिप्त हो गया है। यहां बिना पैसा दिये कोई काम होता ही नहीं है। विरोध करने पर सीडीपीओ पुष्पा रानी द्वारा चयन-मुक्त की धमकी दे दी जाती है, जिससे सेविका काफी परेशान है। यहां केंद्र पर खाना बनाने के लिए घटिया एक बर्नर का चूल्हा आपूर्ति किया जा रहा है, जिसकी कीमत सात सौ से ज्यादा नहीं होगी, जबकि इसकी कीमत 1483 रूपये बताया जा रहा है। सिलेंडर का अलग से कीमत लिया जा रहा है। सेविकाओं ने अब चूल्हा लेने से इनकार कर दिया है। घटिया मोबाइल से डोकुमेंट्स अपलोड नहीं हो रहा है, जबकि प्रत्येक मोबाइल के लिए सेविकाओं से दस-दस हजार रूपये वसूल किये गए हैं।
मोबाइल के नाम पर झुनझुना थमा दिया गया है। मातृवंदना योजना एवं कन्या उत्थान योजना का फाॅर्म जमा करने पर, कार्यालय ऑपरेटर द्वारा 1-1 सौ रूपये डाटा लोड करने के लिए लिया जा रहा है, इसकी शिकायत भी सीडीपीओ सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। किसी भी योजना से संबंधित फाॅर्म नहीं दिया जाता है। सेविकाओं ने मातृवंदना योजना एवं कन्या उत्थान योजना का फाॅर्म 2023 एवं 2024 के फाॅर्म का लिस्ट दिखाते हुए कहा कि उनके द्वारा सभी कार्य करके जमा कर दिया गया, परंतु सीडीपीओ के आईडी पर अटककर रह गया तथा समय खत्म हो गया। लाभार्थी लाभ से वंचित हैं। उल्टा उन्हें चयन-मुक्ति की धमकी देती हैं। चावल पहुंचाने के नाम पर प्रति ट्रीप 350 रूपये वसूले जाते हैं, पिछले एक सप्ताह से चावल की आपूर्ति नहीं की जा रही है, जिससे पोषाहर बंद है। इस तरह से कदम-कदम पर सेविकाओं का शोषण किया जा रहा है। इधर पर्यवेक्षिकाओं ने बताया कि जो भी फाॅर्म उनके आईडी पर आता है, वह सीडीपीओ के पास अपना काम करके भेज देती हैं, उनके पास कोई डोकुमेंट्स पेंडिंग नहीं रहता है। इस तरह सीडीपीओ कार्यालय पर सेविकाओं का घंटों हंगमा चलता रहा, जो सीडीपीओ के चले जाने के बाद ही शांत हुआ। कुल मिलाकर सीडीपीओ कार्यालय भ्रष्टाचार का अडडा बन गया है, जिससे सेवका काफी प्रताडित महसूस कर रही हैं। देखें इससे इन्हें कबतक निजात मिलता है।