पूर्णिया, वि० सं० अरुण कु० सिंह: अनुसंधान में लापरवाही बरतने के आरोप में न्यायालय द्वारा रुपौली के थानाध्यक्ष के वेतन पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। मामला विशेष (पोक्सो) वाद संख्या 65/2016 का है, जो रुपौली थाना कांड संख्या 104 2016 पर आधारित है। यह आदेश पूर्णिया के सप्तम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अरविंद के द्वारा अगले आदेश तक के लिए दिया गया है। इस मामले की प्राथमिकी पीड़िता की मां ने 5 अक्टूबर 2016 को दर्ज कराई थी। दर्ज प्राथमिकी में यह बात आई है, कि 4 अक्टूबर 2016 को अभियुक्त पीड़िता के घर आए और उसके मुंह में कपड़ा ठूंस कर केला बागान में ले जाकर दुष्कर्म किया गया। पीड़िता की उम्र 15 वर्ष बताई गई है। इस मामले में अनुसंधानकर्ता ने 19 जनवरी 2017 को अंतिम प्रपत्र यह कहते हुए न्यायालय में समर्पित किया था, कि यह मामला पूर्व से चले आ रहे विवाद के कारण उत्पन्न है। तत्पश्चात पीड़िता 19 जुलाई 2017 को न्यायालय में एकआवेदन दिया जिसमें उसने कहा कि इस मामले को लेकर ना तो उसका बयान लिया गया और ना हीं न्यायालय में 164 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत उसका बयान ही दर्ज कराया गया।
तब न्यायालय द्वारा 28 जुलाई 2017 को अनुसंधानकर्ता को यह निर्देश दिया गया कि 164 दं. प्र. सं. के तहत पीड़िता का बयान दर्ज कराएं और पुनः अनुसंधान आरंभ करें। न्यायालय के आदेश के बाद कई बार स्मार पत्र भेजने के बाद 4 जनवरी 2022 को पीड़िता का 164 दं. प्र. सं. के तहत बयान दर्ज कराया गया। परंतु अब तक इस मामले में पुलिस ने अनुसंधान कार्य पूरा कर चार्ज सीट दाखिल नहीं किया। और ना ही इस बारे में न्यायालय को कोई सूचना दिया । जबकि 13 अप्रैल 23 को भी कोर्ट ने स्मार पत्र भेजा था। इतना ही नहीं इस मामले के संबंध में 04 मार्च 23 को उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि 3 महीने के अंदर पूर्ण करें।
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