पटना: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रेलवे में जमीन के बदले नौकरी के मामले में दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर स्थित पीएमएलए विशेष न्यायालय में पहली चार्जशीट दायर की। अदालत इस आरोप-पत्र पर 16 जनवरी को अगली सुनवाई करेगी। ईडी द्वारा दायर की गई इस चार्जशीट में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके बेटे सह बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को नामजद अभियुक्त नहीं बनाया गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने जिन 7 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया है उनमे लालू प्रसाद की पत्नी सह बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटी सांसद मीसा भारती, हेमा यादव के अलावा इनके सीए अमित कात्याल और जमीन देकर रेलवे में नौकरी पाने वाले हृदयानंद चौधरी के नाम शामिलि है। वहीं जल्द ही ईडी इस मामले में अनुपूरक चार्जशीट भी दायर कर सकती है, जिसमें अन्य लोगों के नाम भी हो सकते हैं। अदालत ने ईडी को दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में भी आरोप-पत्र को दाखिल करने का निर्देश दिया है। 4751 पन्नों की इस चार्जशीट में उन दो कंपनियों एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड और एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम का भी उल्लेख है, जिनके नाम पर पैसे का लेनदेन किया गया था।
इन दोनों कंपनियों के निदेशक रहे शारीकुल बारी का भी नाम चार्जशीट में दर्ज है। मामले में ईडी लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुला चुकी है। परंतु ये अब तक ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं हो सके हैं, जिस वजह से इनसे पूछताछ बाकी है। फिलहाल इसकी प्रक्रिया चल रही है। इससे पहले नवंबर 2023 में ईडी ने अमित कात्याल को गिरफ्तार कर लिया था। उससे पूछताछ के बाद कई स्तर पर मामले का खुलासा हुआ है। इस मामले में ईडी पूर्व सीएम राबड़ी देवी, सांसद मीसा, चंदा और रागिनी से पूछताछ कर चुकी है। मामले में ईडी ने जुलाई 2023 में लालू प्रसाद और उनके परिवार की 6 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति को जब्त कर लिया था। इसमें पटना, गाजियाबाद समेत अन्य स्थानों पर 6 अचल संपत्ति समेत अन्य शामिल थी। गौरतलब है कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के कार्यकाल में जमीन लेकर रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी देने का फर्जीवाड़ा हुआ था। रेलवे के विभिन्न जोन में काफी लोगों को नौकरी दी गई थी।
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