पूर्णियाँ, वि० सं० अरुण कुमार सिंह: आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन13 मई 2023 होना है। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक मामलों का निष्पादन हो सके इस बाबत पूर्णिया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार सुजीत कुमार सिंह की अध्यक्षता में 28 मार्च 2023 को सभी न्यायिक पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की गयी। इस बैठक में सभी संबंधित न्यायिक पदाधिकारियों को अधिक से अधिक मामले को चिन्हित करने हेतु निर्देश दिया गया। चिन्हित मामलों में पक्षकारों को प्री-सिंटिंग सह प्री-काउन्सेलिंग में या राष्ट्रीय लोक अदालत के संबंधित पीठ में उपस्थित रहने हेतु यथाशीघ्र नोटिस निर्गत करने के लिए निर्देश दिया गया। शमनीय सुलहनीय प्रकृति के मामलों में अभी से ही सभी न्यायिक पदाधिकारियों को न्यायिक कार्य बाधित किये बिना अपने स्तर से प्री-सिटिंग सह प्री-काउन्सेलिंग करने हेतु समय देने का अनुरोध किया गया। बैठक में सभी न्यायिक पदाधिकारीगण उपस्थित हुए। आपको बता दें कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार, नई दिल्ली के कार्यक्रमानुसार एवं बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देशानुसार दिनांक 13 मई 2023 को व्यवहार न्यायालय पूर्णियों के साथ-साथ अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय, बनमनखी, धमदाहा एवं बायसी में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा।
राष्ट्रीय लोक अदालत में शमनीय आपराधिक मामले, एन०आई० एक्ट के मामले, बैंक ऋण वसूली संबंधित मामले, मोटर दुर्घटना बीमा दावा वाद के मामले, श्रम विवाद, बिजली एवं पानी बिल, वैवाहिक विवाद (तलाक छोड़कर) भू-अधिग्रहण के मामले, वेतन एवं पेंशन संबंधित मामले, राजस्व से संबंधित मामले एवं अन्य दीवानी वाद का सुलह समझौते के आधार पर निपटारा किया जाता है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार पूर्णियाँ के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश धीरज कुमार भास्कर जानकारी देते हुए कहा कि जिन पक्षकारों अथवा पीडितों को नोटिस प्राप्त नहीं भी होता है यदि वे अपना वाद आपसी सुलह समझौते के आधार पर निपटारा कराना चाहते हैं, तो वे इस लोक अदालत में आकर इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं। लोक अदालत में वाद का निष्पादन बिना कोई खर्च के मुफ्त एवम तत्काल तत्काल किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए व्यवहार न्यायालय पूर्णियों के परिसर में स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पूर्णियों के कार्यायल से सम्पर्क कर सकते हैं। विदित हो कि लोक अदालत में मामलों का निष्पादन होने से पक्षकार लंबे समय तक अनेक तिथियों पर न्यायालय का चक्कर काटने और लंबे खर्च से बच जाते हैं। दोनों ही पक्ष खुशी-खुशी संतुष्ट होकर घर जाते हैं। किसी के मन में कोई बैर भाव या मलाल नहीं रह जाता है। इससे न्यायालयों में मुकदमों के अंबार में भी कमी आती है।