सहरसा, अजय कुमार: कोसी के बाद सहरसा जिला से होकर गुजरने वाली सबसे बड़ी नदी तिलावे है जो अपने अस्तित्व को खो रहा है। जिसे बचाने की आवश्यकता है। 85 किलोमीटर लंबी यह नदी सुपौल, सहरसा, खगड़िया जिले के रास्ते कोसी नदी में समा जाती है। करीब 54 किलोमीटर यह सहरसा जिले क्षेत्र में बहती है।नदी में गाद जम जाने के कारण इसका मार्ग अवरूद्ध हो गया है और पानी का बहाव कम हो गया है। सिर्फ बरसात के दिनों में ही इस नदी में पानी बहता है। लेकिन इस बार बारिश के मौसम में भी इस नदी को पानी के लाले पड़ गये हैं। नदी में कहीं भी पानी नजर नहीं आ रहा है। जबकि सुखाड़ के समय में नदी के किनारे में किसान पंपसेट लगा पटवन कर फसल की जान बचाती है। लेकिन अब स्थिति यह है कि खुद नदी को ही पानी के लिए इन्द्रभगवान पर भरोसा है। स्थानीय लोगों ने सरकार से इस नदी के बहाव को सुचारू रखने ने के लिए इनके गाद की सफाई करने की मांग की है। नदी का बहाव सुचारू रूप से रहने पर नदी के किनारे छोटे-छोटे लघु और कुटीर उद्योग स्थापित किया जा सकता है। हालांकि सहरसा शहर के सभी नाली को इस नदी से जोड़कर जल निकासी कर शहर को जलजमाव से मुक्ति दिलाया जा रहा है। कई लोगों ने कहा कि इस नदी के बहाव रहने से स्थानीय लोगों को काफी सहूलियत मिलती थी। साथ ही किसानों और पशुपालकों को भी सुविधा प्रदान होती थी। इसीलिए सरकार को इस नदी के गाद की सफाई कर इन्हें पुनः अपने पुराने रूप में लाने का प्रयास सरकार द्वारा करनी चाहिए। तिलावे उत्तर बिहार का कोसी के बाद सबसे बड़ी नदी मानी जाती है। लेकिन यह अपने अस्तित्व को समाप्त करने की कगार पर है।
सौरबाजार, सत्तरकटैया ,सिमरीबख्तियारपुर, बनमा इटहरी, सलखुआ के रास्ते यह नदी खगड़िया जिले में कोसी में समा जाती है। मनरेगा समेत अन्य योजना से तिलावे नदी के गाद सफाई के नाम पर करोड़ों की योजना संचालित की जा चुकी है। लेकिन धरातल पर काम नहीं होने के कारण इसमें कोई परिवर्तन नही हो सका है। नदी की उड़ाही,गाद सफाई और फसल सुरक्षा बांध बनाने के नाम पर करोड़ों की राशि सरकारी खजाने से खाली हो गई है। लेकिन तिलावे नदी की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। जिले के वरीय पदाधिकारी और सरकार को इस पर संज्ञान लेकर इसके जीर्णोद्धार की दिशा में पहल करने की जरूरत है। नदी के सूखे रहने के कारण स्थानीय लोगों द्वारा नदी को अतिक्रमण कर खेत बना लिया गया है और उसमें फसल उगाया जा रहा है कई जगहों पर नदी के किनारे बसे लोग इन में मिट्टी भरकर घर भी बनाया जा रहा है, जिसके कारण देखा देखी में अगल बगल के लोग भी इसे अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहा है, यदि प्रशासन समय रहते इस ओर अपना ध्यान आकर्षित नहीं करती है तो आने वाले समय में लोगों द्वारा इन्हें अतिक्रमण कर अपने कब्जे में लेकर नदी के अस्तित्व को समाप्त कर देगी।
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