पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: उनके द्वारा गरीब बच्चों में शिक्षा एवं गणित विषय के प्रति उत्साह जगाने को लेकर महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में 24 दिसंबर को गायत्रीनगर तेलडीहा गांव में ली गई गणित प्रतियोगिता की परीक्षा में, बच्चों में शिक्षा के प्रति ललक दिखी, परंतु इस सरकारी विद्यालय के शिक्षकों एवं अभिभावकों में शिक्षा के प्रति स्पष्ट उदासीनता देखी गई, जो चिंताजनक है। उक्त बातें गणित प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन कर रहे ग्रामीण सह पत्रकार अभय कुमार सिंह ने चिंता जताते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता के आरंभ से लेकर अंत तक दो-चार अभिभावकों को छोडकर एक भी अभिभावक उपस्थित नहीं थे। वे उपस्थित होते तो निश्चित रूप से अपने बच्चों की पढाई के बारे में जानते तथा उन्हें और हौशला आफजाई करते। आठवीं तक के बच्चों को सरल रेखा, कोण, गुणा, जोड आदि की जानकारी नहीं थी, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर क्या है। इसमें सरकार भी कम दोषी नहीं है, उनके द्वारा हर कदम पर बच्चों को आगे बढने के लिए बस घोषणाएं की जाती रही हैं, परंतु वह जमीनी स्तर पर उतर रही है कि नहीं, इसे देखनेवाला कोई नहीं है। सरकार द्वारा दी जानेवाली सुविधाओं को लेने के लिए अभिभावक शिक्षक के साथ अभद्र व्यवहार करने से नहीं चूक रहे हैं, परंतु पढाई के नाम पर बच्चों को विद्यालय भेज बस संतुष्ट हो जा रहे हैं।
अभिभावक कभी भी अपने बच्चों से ये नहीं पूछते कि आज क्या पढा, बल्कि ये पूछते हैं कि खाना क्या खिलाया, पोशाक कब मिलेगा आदि। जबकि पढाई की बात कुछ अभिभावक छोडकर कोई भी करने को तैयार नहीं हैं। गांव स्थित विद्यालय में शिक्षकों को कभी भी अपनी कक्षाओं में घंटी के अनुसार नहीं देखा जा रहा है, जिससे साधन संपन्न अभिभावक यहां अपने बच्चों को पढाने भेजते ही नहीं हैं। उनका इस गणित प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से यह संदेश देना है कि गरीबों के बच्चों को कौन आगे बढाएगा, इनके लिए जबतक गांव की ओर से कोई रचनात्मक कार्य नहीं किये जाएंगे, तबतक इन सरकारी शिक्षकों के सहारे संभव नहीं है। आमलोग जनप्रतिनिधियों की जीत सुनिश्चित कराने में जात-पात, धंर्म-संप्रदाय में बंटे दिखते हैं, परंतु अपने बच्चों को शिक्षा देने में या फिर अगडी या पिछडी वर्ग के शिक्षक कभी भी अमल नहीं करते कि उनके वर्ग के बच्चे भी आगे बढ सकें। उन्होंने सभी से अपील की कि सभी अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति ध्यान दें, वे ही उनके भविष्य हैं। कहा भी जाता है कि पूत कपूत तो क्या धन संचय, पूत सपूत तो क्या धन संचय।
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