सहरसा, अजय कुमार: जिले के सौर बाजार में माकपा अंचल कमिटी द्वारा पार्टी कार्यालय में महान वैज्ञानिक कार्ल मार्क्स की 206 वीं जयंती मनाई गई। सीपीएम के जिला मंत्री रणधीर यादव ने कहा मार्क्स का विचार था कि अनुसंधान के अंतिम फल की चिंता किये बिना विज्ञान का अनुशीलन विज्ञान के साथ ही सार्वजनिक जीवन में सक्रिय सहभागिता का त्याग करके अथवा बिल के चूहे की तरह अपने को अध्ययन कक्ष या प्रयोगशाला में बंद करके और समकालीनों के सर्वाजनिक जीवन तथा राजनीतिक संघर्ष से तटस्थ रहकर, वैज्ञानिक महज अपने को हेय ही बना सकता है। वे कहा करते थे मैं विश्व नागरिक हूं। मैं जहां कहीं भी हूं सक्रिय हूं। किताब उनके लिये विलास सामग्री नहीं औजार थी। वे कहा करते थे ये मेरी सेवा करने होगी डार्विन की भांति वे भी उपन्यास पढ़ने के बड़े शौकीन थे। वे इस उक्ति को बार बार दोहराना पसंद करते थे कि जीवन संघर्ष में विदेशी भाषा एक हथियार है। उनका विचार था कि जब कोई विज्ञान गणित था कि जब तक कोई विज्ञान गणित का उपयोग करना नहीं सीख लेता, जब तक वस्तुत: विकसित रूप नहीं प्राप्त कर सकता है चिंतन उसका सबसे बड़ा सुख था। मैंने अक्सर उन्हें उनकी जवानी के दर्शन गुरू हेगेल के शब्द दुहराते हुए सुना किसी कुकर्मी के अपराधमूलक चिंतन में भी स्वर्ग के चमत्कारों से अधिक वैभव तथा गरिमा होती है जब मार्क्स ने अपने चारित्रिक प्रमाण प्राचूर्य तथा विकास संबंधी अपना तेजस्वी सिध्दांत समझाया था मुझे ऐसा लगा था मानो मेरी आंखों के सामने से पर्दा हट गया हो मैंने पहले पहल विश्व इतिहास की तर्क संगीत को स्पष्ट से देखा और सामाजिक विकास के व्यापारों का जो देखने में इतने अंन्तर्विरोध पूर्ण हैं उसके भौतिक कारणों के साथ तालमेल बिठा पाया वे अपनी कृतियों से भी कहीं अधिक ऊंचे थे मार्क्स अपनी कृति से कभी संतुष्ट नहीं होते थे उसमें बाद को हमेशा परिवर्तन करते रहते थे और निरंतर पाते थे कि उनकी अभिव्यक्ति उनके चिंतन की ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाती उनके आलोचक या कभी सिद्ध नहीं कर सकते कि वे लापरवाह थे अथवा अपने तर्कों को ऐसे तथ्यों पर आधारित करते थे जो जांच की कसौटी पर रखे न उतर सके।
मार्क्स की साहित्यिक ईमानदारी भी उतनी ही जबरदस्त थी जितनी वैज्ञानिक इमानदारी उसके काम करने का ढंग अक्सर उनके ऊपर ऐसे कार्यभार लाद देता था जिसकी गुरूता की कल्पना की पाठक मुश्किल से कर सकते हैं। मार्क्स और एंगेल्स हमारे युग में पुराकालीन कवियों द्रारा वर्णित मित्रता के आदर्श का मूर्त रूप थें और किसी भी व्यक्ति की तुलना में मार्क्स एंगेल्स की राय कि अधिक कद्र करते थे क्योंकि मार्क्स के ख्याल से एंगेल्स ही वह व्यक्ति थें जो उनके सहकर्मी हो सकते थे।मार्क्स जितने स्नेही पति और पिता थे।उसने ही अच्छे मित्र भी थे उनकी पत्नी बेटियां एंगेल्स और हेलेन उन जैसे व्यक्ति के स्नेह पात्र होने के योग्य भी थे। कार्ल मार्क्स के 206 वें जन्मदिन पर उनके प्रति आंतरिक श्रद्धांजलि उपस्थित सीपीएम अंचल मंत्री रमेश यादव,सीपीएम के जिला सचिव मंडल सदस्य कुलानन्द कुमार, अंचल कमिटी सदस्य केशव कुमार विघानंद यादव,मोo जुवेर, बद्री राम,पवन सादा आदि मौजूद थे।
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