पूर्णिया: आज सहयोग प्रांगण आकाशवाणी रोड पूर्णिया में सहयोग अध्यक्ष डॉ अजीत प्रसाद सिंह ने पर्यावरण संकट और ग्लोबल वार्मिंग विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में अनेक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। डॉ अजीत बढ़ते गर्मी, बढ़ते प्रदूषण और असमय बर्फीले पहाड़ों का पिघलना प्राकृतिक आपदा पर्यावरण असंतुलन के कारण अत्यधिक बाढ़ एवं सुखार विषय पर विस्तार से लोगों को समझाया और पौधारोपण हेतु जागरूक किया एवं निशुल्क पौधा वितरण किया। विचार गोष्ठी में अपना विचार प्रस्तुत करते हुए डॉ सिंह ने कहा पेड़-पौधों का महत्व हर किसी को समझना होगा। जब तक हम और आप इसे नहीं समझेंगे तक पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बढ़ाया हुआ कदम सार्थक नहीं होगा। एक व्यक्ति चौबीस घंटे में औसतन 550 लीटर आक्सीजन का उपयोग करता है। जबकि एक पेड़ इतने ही समय में 55 से 60 लीटर आक्सीजन उत्सर्जित करता है। इस तरह से प्रत्येक व्यक्ति को इस धरा पर जीवित रहने के लिए उसके हिस्से की आक्सीजन आपूर्ति के लिए दस पेड़ चाहिए, इसलिए पर्यावरण संरक्षण को समझ कर ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं। इंसान हो या पशु-पक्षी हर किसी को आक्सीजन की जरूरत होती है। बिना आक्सीजन के व्यक्ति एक क्षण भी नहीं जीवित रह सकता है। इसलिए आक्सीजन बनाने के लिए पौधों का होना अत्यंत आवश्यक है। इसकी महत्ता को हर किसी को समझना होगा। जब तक हर व्यक्ति के अंदर पेड़-पौधों का आदर नहीं होगा तब तक पर्यावरण प्रदूषित होता जाएगा और इंसान के लिए खतरे की घंटी तेज होती जाएगी।
जदगी के हर मोड़ पर पौधों की जरूरत पड़ती है। चाहे वह हवा की हो, पानी की हो, छाया की हो या फिर उसके फल व लकड़ी की बात हो। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो अगर आप एक आम का पौधा लगाते हैं तो उसका फल आप के साथ आपके परिवार के लोग खाते हैं, लेकिन उससे छाया कई इंसान और पशु लेते हैं। कई पक्षियों का आशियाना भी उसी पेड़ पर होता है। आज जो प्रदूषण बढ़ रहा है अगर पर्याप्त संख्या में पौधे लगें तो इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। पेड़ पौधे ही वातावरण और जलवायु को नियंत्रित करते हैं। इंसान इस दुनिया में रह सके इसमें वनस्पति का ही योगदान है। बरसात भी जंगलों के कारण होती है। हमारा भोजन भी पेड़ पौधों से आता है। पहले वन नहीं काटे जाते थे। आधुनिक जीवन के लिये पेड़ पौधों ने ही कुर्बानी दी है। सिर्फ रेल लाइन के नीचे स्लीपर बिछाने के लिये देश के पहाड़ गंजे हो गये। उनकी पूर्ति आजतक नहीं हो पायी क्योंकि पौधे बढ़कर पेड़ बने इसपर ध्यान नहीं दिया गया। पौधा रोपन हर वर्ष होता है। वही ग्लोबल वार्मिंग ने पृथ्वी को त्राहिमाम कर रखा है। वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों (मीथेन, कार्बन डाय ऑक्साइड, ऑक्साइड और क्लोरो-फ्लूरो-कार्बन) के बढ़ने के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में होने वाली बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। वही इस कार्यक्रम में संस्थान के सदस्य भवेश कुमार मंडल, रवि कुशवाहा, अक्षय कुमार, ध्रुव कुमार गुप्ता, साक्षी कुमारी, निधि कुमारी, पुनीता कुमारी, सूची प्रिया, तनीषा कुमारी, प्रीति कुमारी, देवकी कुमारी, सरिता कुमारी आदि उपस्थित थी।
![सहयोग प्रांगण में पर्यावरण संकट और ग्लोबल वार्मिंग विषय पर विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन A discussion seminar was organized on the topic of environmental crisis and global warming in Sahyog Prangan.](http://angindianews.com/wp-content/uploads/2023/06/IMG-20230616-WA0001-1024x458.jpg)
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