पूर्णिया: कहते हैं मां, मां ममता का सागर होती है । उसके सामने किसी का भी बच्चा हो, ममता का सागर उमड ही पडता है । चाहे वह इंसान हो या कोई जानवर । ऐसा ही नजारा टीकापटी थाना में देखने को मिल रहा है, जहां दो कुतिया मां ने एक दिन आगे-पीछे 17 बच्चों को जना है । दोनों कुतिया मां में बच्चों के लिए इतना ममता का सागर है कि कभी भी खत्म नहीं होता है । होता ऐसा है कि इन बच्चों के पास हमेषा ही एक मां को बारी-बारी से सभी बच्चों को दूध पिलाते देखा जाता है ।
दूसरी मां जैसे ही आती है, वैसे ही पहली मां वहां से खाने के लिए कूच कर जाती है । यह सिलसिला निरंतर चलता रहता है । इस दृष्य को देखकर थाने के पुलिसकर्मियों एवं थाने में आते-जाते लोगों के मुंह से अकारण निकलते देखा जाता है कि आखिर मां तो मां ही होती है, चाहे वह इंसान की हो या जानवर या फिर अन्य जीव की ।
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