- सुलक्ष्मी व सद्कार्याें से ही होगी जीवन में श्रीवृद्धि:- साध्वीश्री
- 2480वें ओसवाल स्थापना दिवस पर समारोह का हुआ आयोजन,
राजस्थान: 2480वें ओसवाल वंश की स्थापना दिवस के उपलक्ष में रविवार को जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के तत्वावधान में बाड़मेर शहर में विराजित चातुमार्सिक साधु-साध्वी भगवन्तों की पावन निश्रा में श्री गुणसागर सूरि साधना भवन में ओसवाल समाज स्थापना दिवस समारोह आयोजित हुआ। समारोह में साधु-साध्वी भगवन्तों के मंगल प्रवचन के साथ-साथ वक्ताओं ने विचार रखे। जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के महामंत्री किशनलाल वडेरा ने बताया कि हर वर्ष की भांति जैन श्रीसंघ, बाड़मेर की परम्परानुसार रविवार को 2480वां ओसवाल वंश स्थापना दिवस श्री गुणसागर सूरी साधना भवन में चतुर्विघ संघ की उपस्थिति में हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। समारोह का आगाज सामूहिक गुरूवन्दन एवं परमात्मा श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा के समक्ष दीप-प्रल्ल्वलन के साथ हुआ। जैन श्रीसंघ, बाड़मेर पूर्व अध्यक्ष रिखबदास मालू, जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के अध्यक्ष एडवोकेट अमृतलाल जैन, खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष प्रकाशचन्द संखलेचा, अचलगच्छ संघ के अध्यक्ष डॉ. गुलाबचन्द वडेरा व तेरापंथ धर्मसंघ के सचिव गौतम बोथरा ने दीप प्रज्जवलित कर विश्व-मंगल व विश्व-कल्याण की कामना की। समारोह में जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के अध्यक्ष एडवोकेट अमृतलाल जैन ने अपने स्वागत उद्बोधन में समस्त समाज बन्धुओं व माताओं-बहिनों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें ओसवाल होने पर गर्व है। हम सभी एकजुट होकर जैनत्व की रक्षा के प्रतिबद्ध हो और जैन समाज के तमाम कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लें। वहीं समारोह में रोशन मालू, हर्षा सिंघवीं, पवन संखलेचा नमन, डॉ. सीमा जैन, जैन श्रीसंघ, बाड़मेर पूर्व अध्यक्ष रिखबदास मालू सहित कई वक्ताओं ने अपनी बात रखी और ऐतिहासिक तथ्यों पर प्रकाश डाला।
समारोह में साध्वीश्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी मसा ने कहा कि ओसवाल समाज का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है। जिस पर हमें गर्व करते हुए वर्तमान व भविष्य के लिए आगे बढ़ना है। साथ ही हमें अपने संस्कारों पर भी नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। हम किस दिशा में जा रहे है, इस पर विचार जरूरी है। साध्वीश्री ने कहा कि नयी पीढ़ी को संसकारों की महती आवश्यकता है। इस हेतु बच्चों को ज्ञान पाठशाला व साधु-साध्वी भगवन्तों के पास भेजने की जरूरत है। समारोह में साध्वीश्री जिनबालाश्रीजी मसा ने कहा कि भगवान महावीर के निर्वाण के करीब 70 वर्ष बाद अर्थात् आज से 2480 वर्ष पूर्व जैनाचार्य रत्नप्रभ सुरिजी महाराज अपने लगभग 500 शिष्यों के साथ वर्तमान ओसिया में वीर संवत 70 श्रावण वदी चौदस के पावन दिन ओसवाल समाज की स्थापना की थी। हमें अपने आचार-विचार पर गहनता से विचार करने की जरूरत है। साध्वीश्री ने कहा कि सुलक्ष्मी व सद्कार्याें से ही हमारे जीवन में श्रीवृद्धि सम्भव है। अन्यथा कुलक्ष्मी से हमारे घर-परिवार आदि का नाश ही होना है। समारोह में मुनिराज श्री विराटसागरजी मसा ने ओसवाल वंश स्थापना दिवस पर अपने मंगल प्रवचन में जीवन में समय, संस्कार, समझ और बुराई के फैलाव पर रोक को लेकर कहा कि दीर्घदृष्टि से ही घर-परिवार और समाज का भला होना है। इसी दीर्घदृष्टि से ही बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है। मुनिराज ने कहा कि आजकल सोशियल मीडिया पर समाज की आलोचना आदि लेकर खूब चर्चाएं वायरल होती है जिससे समाज के आपसी सामंजस्य व तालमेल में गड़बड़ हो जाती है। ऐसे में मुनिराज ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को समाज के चिन्तन व चर्चा के विषयों अथवा आलोचना को सोशियल मीड़िया पर वायरल नही करने की शपथ दिलाई।
समारोह के अन्त में कर्नाटक में आचार्यश्री कामकुमार नन्दी मसा की निर्मम हत्या पर रोष जाहिर किया तथा जैन श्रीसंघ, बाड़मेर की ओर से दो मिनट का मौन व नवकार जापकर भावों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम संचालन संघ के महामंत्री किशनलाल वडेरा ने किया। ओसवाल वंश स्थापना दिवस समारोह में बड़ी संख्या में जैन समाज के साधर्मिक बन्धु, माताएं-बहिनें व युवासाथी उपस्थित रहे।
- जैन साधु हत्या के विरोध में मौन रैली और ज्ञापन आज
संघ के महामंत्री किशनलाल वडेरा ने बताया कि कर्नाटक में जैनाचार्य कामकुमार नन्दी मसा की निर्मम हत्या के विरोध में देश भर के जैन समाज में भारी आक्रोश है। जिस क्रम में बाड़मेर जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के तत्वावधान में 17 जुलाई सोमवार को माननीया राष्ट्रपति महोदया, माननीय प्रधानमंत्री महोदय व माननीय राज्यपाल महोदय कर्नाटक सरकार को जिला कलेक्टर, बाड़मेर के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया जायेगा। वहीं हत्यारों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग को लेकर जैन समाज द्वारा जैन न्याति नोहरे से जिला कलेक्ट्रेट तक मौन रैली निकाली जायेगी। वडेरा ने बताया कि मौन रैली 17 जुलाई सोमवार को प्रातः 10.00 बजे जैन न्याति नोहरे से प्रारम्भ होगी। जिसमें बड़ी संख्या में साधु-साध्वी भगवन्त, जैन समाज बन्धु, माताएं-बहिनें एवं युवासाथी शामिल होंगें।
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