पूर्णिया : जिला को एनीमिया मुक्त बनाने के लिए जिले में एनीमिया मुक्त अभियान चलाया जाता है। एनीमिया मुक्त कार्यक्रम के अंर्तगत 06-59 माह के शिशु, 05-09 वर्ष के बच्चों, 10-19 वर्ष के विद्यालय जाने वाले और विद्यालय नहीं जाने वाले किशोर/किशोरियों, प्रजनन उम्र की महिलाओं, गर्भवती और धात्री महिलाओं को एनीमिया की रोकथाम के लिए आयरन फोलिक एसिड (आई.एफ.ए.) का वितरण किया जाता है।
एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी की अध्यक्षता में सभी प्रखंड के स्वास्थ्य, आईसीडीएस और शिक्षा अधिकारियों के साथ समीक्षात्मक बैठक आयोजित किया गया। इस दौरान सभी अधिकारियों को अपने क्षेत्र के बच्चों और महिलाओं को आईएफए गोली/सिरप देने की आवश्यक जानकारी दी गई।
इस दौरान सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी के साथ डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, डीआईओ डॉ विनय मोहन, डीएमएनई आलोक कुमार, यूनिसेफ डीसी शिवशेखर आनंद सहित सभी प्रखंड से स्वास्थ्य, आईसीडीएस और शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।
एनीमिया पर प्रभावी नियंत्रण से मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी संभव : सिविल सर्जन
समीक्षा बैठक में सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने जिले में एनीमिया मुक्त भारत अभियान की सफलता को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि महिलाएं व किशोरी खून के कमी की समस्या से ज्यादा ग्रसित रहती हैं। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जानकारी के अभाव में महिलाएं नियमित खान-पान में पोषक तत्वों के कमी के कारण एनीमिया की शिकार होती है। एनीमिया के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण से मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों में बहुत हद तक कमी संभव है। एनीमिया के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से आम लोगों को नि:शुल्क आयरन व फोलिक एसिड की दवा उपलब्ध करायी जाएगा। जिसके शत प्रतिशत वितरण से जिले में एनीमिया ग्रसित मरीजों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
विभिन्न आयु वर्ग के लोगों पर रोग का होता है अलग-अलग प्रभाव :
डीसीएम संजय कुमार दिनकर ने बताया कि अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों पर रोग के प्रभाव में अंतर होता है। एनीमिया के कारण बच्चे व किशोरों के मानसिक शक्ति का ह्रास होता है। वहीं उनका रोग प्रतिरोधात्मक इससे प्रभावित होता है। वहीं व्यस्कों में इसके कारण उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। मांसपेशियों में दर्द, चिड़चिड़ापन, मोटापा अनियमित हृदय गति जैसे लक्षण दिखते हैं। गर्भवती महिला के मामले में समय पूर्व प्रसव, प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा रहता है।
वहीं धात्री महिलाएं के लिए तनाव, अवसाद, थकान व सांस की कमी की समस्या की वजह बनता है। एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को छह समूह में विभक्त कर उन्हें विभाग द्वारा नि:शुल्क आयरन व फॉलिक एसिड की दवा उपलब्ध कराया जाएगा जिसके नियमित उपयोग से वे एनीमिया की कमी को दूर कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक जिले में 06-59 माह के 04 लाख 69 हजार 265 बच्चों को, 5-9 साल के 05 लाख 17 हजार 012 बच्चों को, 10-19 साल के 05 लाख 01 हजार 669 बच्चों को और 20-49 वर्ष के 01 लाख 56 हजार 333 महिलाओं को आई.एफ.ए. की गोलियां खिलाई गई है।
लोगों को नि:शुल्क उपलब्ध कराती है दवा :
डीआईओ डॉ विनय मोहन ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत 06 से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए की 01 एमएम दवा दी जाती है। 05 से 09 माह के बच्चे को सप्ताह में दो बार आईएफए सिरप दी जाती तो 05 से 09 साल के बच्चों को आंगनबाडी व प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक द्वारा सप्ताह में एक बार आईएफए की एक गुलाबी गोली खिलाई जाती है। स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को आशा के माध्यम से गृह भ्रमण के दौरान दवा सेवन कराया जाता है।
वहीं 10 से 19 साल के किशोर-किशोरियों को हर सप्ताह आईएफए की एक नीली गोली, 20 से 24 वर्ष आयु वर्ग के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को हर सप्ताह आईएफए की एक लाल गोली आरोग्य स्थल पर आशा कर्मियों के माध्यम से खिलाया जाता है। वहीं गर्भवती महिलाओं को गर्भ के चौथे महीने के बाद व धात्री महिलाओं को प्रसव के उपरांत प्रतिदिन खाने के लिये आईएफए की 180 गोली स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है।
आयरन की गोली दवाई नहीं बल्कि पौष्टिक आहार है :
यूनिसेफ जिला समन्यवक शिवशेखर आनंद ने बताया कि आयरन की गोली दवाई नहीं बल्कि एक पौष्टिक आहार है। यह लोगों और उनके बच्चों को स्वस्थ बनाता है। इसका सेवन से लाभार्थियों चमकती त्वचा, स्वस्थ बाल और गुलाबी नाखून का लाभ मिलेगा। यह लोगों की थकान को दूर करते हुए उनके एकाग्रता बढाने में भी सहयोग करता है। इसके सेवन से लाभार्थी के खून और लाल होने के साथ साथ उनके संक्रमण को दूर करते हुए उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने में सहयोग प्रदान करता है।