- 13 माह के कार्यकाल में टीबी नियंत्रण के लिए बेहतर कार्य किए हैं डॉ मिहिरकान्त झा
- छुआछूत की बीमारी नहीं है टीबी : सीडीओ
पूर्णिया: जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा जनवरी के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके विदाई के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के संचारी रोग नियंत्रण कार्यालय में विदाई समारोह आयोजित किया। इसमें उपस्थित सभी स्वास्थ्य अधिकारी और टीबी चैंपियन द्वारा डॉ मिहिरकान्त झा को टीबी उन्मूलन कार्य में बेहतर कार्य करने के लिए धन्यवाद देते हुए उन्हें आगे जीवन में खुशहाल जीवन जीने की कामना की गई। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, जीएमसीएच अस्पताल उपाधीक्षक डॉ भरत कुमार, डीआईओ डॉ विनय कुमार, एआरटी इंचार्ज डॉ सौरभ कुमार, डीपीसी डॉ सुधांशु शेखर, डीएएम पंकज मिश्र, डीआईएस बी एन प्रसाद, डीपीएस टीबी राजेश शर्मा, टीबी केंद्र के लिपिक तपन कुमार, सपन मिश्र, सभी एसपीएस, एसटीएलएफ, एलटी, टीबी अस्सिस्टेंट, टीबी एचभी, डीईओ सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी व यक्ष्मा कर्मी उपस्थित रहे।
अपने कुछ दिनों के कार्यकाल में टीबी नियंत्रण के लिए बेहतर कार्य किए हैं डॉ मिहिरकान्त झा :
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने पिछले 13 माह से डॉ मिहिरकान्त झा द्वारा जिला संचारी रोग नियंत्रण कार्यालय में कार्यरत हैं। इस दौरान उनके द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में बहुत से टीबी मरीजों की खोज कर उन्हें चिकित्सकीय सहायता प्रदान की गई। इसके साथ साथ उनके द्वारा जिले के बहुत से प्रतिष्ठित लोगों को निक्षय मित्र बनाकर उनके द्वारा टीबी ग्रसित मरीजों को पोषण सहायता उपलब्ध कराई गई। इससे बहुत से टीबी मरीज मेडिकल चिकित्सा का लाभ उठाकर टीबी मुक्त हो गए। इनके सेवानिवृत्त होने पर फरवरी माह से ये ज़िम्मेदारी डॉ कृष्ण मोहन दास को दी गई है। हमारे द्वारा उनसे भी डॉ मिहिरकान्त झा की तरह टीबी मुक्त कार्यक्रम का जिले में बेहतर क्रियान्वयन करते हुए जिले को टीबी मुक्त करना आपेक्षित है।
छुआछूत की बीमारी नहीं है टीबी: सीडीओ
सीडीओ डॉ मिहिरकान्त झा ने उपस्थित सभी लोगों को अपने सेवानिवृत्त कार्यक्रम के लिए धन्यवाद देते हुए आगामी चिकित्सा अधिकारी से जिले को टीबी मुक्त करने के लिए बेहतर कार्य करने की अपेक्षा की गई। उन्होंने बताया कि टीबी बीमारी छुआछूत की बीमारी नहीं है, परंतु कुछ ऐसे कारण हैं जिससे यह बीमारी आसानी से एक दूसरे में फैलती है। यदि ऐसे कारणों को जानकर रहन-सहन में थोड़ा परिवर्तन किया जाए तो इस बीमारी को दूसरे व्यक्ति में फैलने से 80 से 90 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि खासकर वैसे बच्चे जो टीबी से ग्रसित हैं उन्हें थोड़ी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। खासकर उस समय जब वे पढ़ने के लिए स्कूल या कोचिंग संस्थान में जाते हैं या अन्य बच्चों के साथ खेलते हैं, तो उस समय वैसे बच्चों को अन्य बच्चों से थोड़ी दूरी बनानी चाहिए। यदि पढ़ाई के लिए स्कूल या कोचिंग संस्थान गए हों तो टीबी से ग्रसित बच्चे मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। इसके अलावा जहां-तहां ना थूकें , क्योंकि यह बीमारी अधिकांशत: थूकने और खांसने के माध्यम से दूसरे लोगों में तेजी से फैलती है।
![सीडीओ डॉ मिहिरकान्त झा हुए सेवानिवृत्त, डॉ कृष्ण मोहन दास को मिली संचारी रोग नियंत्रण की जिम्मेदारी CDO Dr. Mihirkant Jha retired, Dr. Krishna Mohan Das got the responsibility of communicable disease control.](http://angindianews.com/wp-content/uploads/2024/01/IMG-20240130-WA0052-1024x461.jpg)
टीबी ग्रसित लोगों से ना बनाएं सामाजिक दूरी :
डॉ मिहिरकान्त झा ने बताया कि पहले टीबी बीमारी के लिए कोई उचित इलाज नहीं था। इसलिए टीबी बीमारी को लेकर लोग ज्यादा भयभीत रहते थे, लेकिन अब टीबी बीमारी की दवा मौजूद है और समय से इलाज कराने पर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। बस थोड़ी सी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। डॉ झा ने कहा कि टीबी से ग्रसित लोग भी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। इसलिए वैसे लोगों के साथ भेदभाव ना बरतें, क्योंकि अब यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। उन्होंने बताया कि लंबे दिनों तक लगातार खांसी आना, सोते समय पसीना आना, बलगम में खून आना, लगातार वजन में गिरावट होना, भूख न लगना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल सरकारी अस्पताल स्थित टीबी विभाग में संपर्क करें। उन्होंने बताया कि टीबी बीमारी से संबंधित सभी जांच और दवाएं पूरी तरह से नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं। साथ ही सरकार द्वारा प्रतिमाह 500 रुपए सहायता राशि भी प्रदान की जाती है।
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