- गोडियर उच्च विद्यालय में तीन सामान्य शिक्षक एवं एक कंप्यूटर शिक्षक, बावजूद उपस्थिति मात्र एक की
- अमीर तो अपने बच्चों को कहीं भी पढा लेते हैं, परंतु गोडियर जैसे मजदूरों के गांव में जहां के अधिकांश अभिभावक मजदूर हैं, वे अपना पेट भरेंगे या फिर बाहर भेजकर बच्चों को पढाएंगे
पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: एकओर जहां बच्चों में शिक्षा के प्रति ललक जगती जा रही है, वहीं शिक्षकों को प्रायः शिक्षा के प्रति बेरूखी देखने को मिलती चली जा रही है। इनके लिए सरकारी आदेश की धज्जियां उडाना आमबात हो गई है। हद तो यह भी है, जब पूरे सूबे में शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक द्वारा शिक्षा में गुणात्मक सुधार को लेकर किये जा रहे लगातार प्रयास को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। इसका उदाहरण गोडियर गांव स्थित हाई स्कूल में देखी जा सकती है। यह बता दें कि हाई स्कूल के खुलने का समय 9.30 बजे सुबह से है, परंतु मंगलवार को 9.45 बजे तक इस विद्यालय में मात्र एक शिक्षक राजीव कुमार राजू मौजूद थे, जो साफ-सफाई की व्यवस्था में लगे हुए थे। प्रधानाध्यापक, सहायक शिक्षक एवं कंप्यूटर शिक्षक गायब दिखे। यह बता दें कि जबसे सरकार ने इस गांव में हाईस्कूल के साथ-साथ उसके सुसज्जित भवन की स्थापना की, यहां के बच्चों के लिए एक अवसर जैसा था। इस क्षेत्र में लगभग आठ किलोमीटर रेडियस में कोई हाईस्कूल नहीं था। इसके खुलने से यहां के बच्चों में हाईस्कूल तक की शिक्षा पाने का एक अवसर मिल गया था।
क्योंकि गोडियर गांव भी लगभग पूरी तरह से मजदूरों का गांव कहा जाता है। यहां बडी मुश्किल से बच्चे शिक्षा पाते हैं। यह सौभाग्य कहें कि सरकार ने बच्चों की शिक्षा के लिए अवसर तो दिया, परंतु यहां पदस्थापित शिक्षक विद्यालय समय पर नहीं आकर इन बच्चों के शिक्षा के प्रति बढती ललक पर पानी फेरने से नहीं चूक रहे हैं। बच्चे क्लास के अभाव में विद्यालय आकर भी लौटने पर मजबूर हो जाते हैं। मंगलवार को बच्चे बडी संख्या में विद्यालय पहूंचे थे, परंतु शिक्षक के अभाव में वे यत्र-तत्र घुमते नजर आए। आश्चर्य तो यह भी होता है कि जो भी शिक्षक यहां पदस्थापित हैं, वे भी सामान्य परिवार से ही आते हैं, फिर भी उनमें इन गरीब बच्चों को पढाने की ललक नहीं दिख रही है। कुल मिलाकर गरीबों के बच्चे तो किसी प्रकार विद्यालय पहूंच ही जा रहे हैं, परंतु शिक्षा के मंदिर के भगवान हमेशा ही गायब मिलते हैं। देखें शिक्षा विभाग के अपर सचिव इनकी किस तरह से खैरियत लेते हैं। वही इस सम्बन्ध में जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवनाथ रजक बताते है की आश्चर्य है, अब भी शिक्षक देर से आते हैं, या नहीं आते हैं। वे इसकी जांच कर सही पाये जाने पर कार्रवायी करेंगे।
![शिक्षा के प्रति बच्चों में लगातार बढ रही ललक, पर शिक्षक उदासीन, नहीं आते हैं समय से विद्यालय Children's desire for education is increasing, but teachers are indifferent, do not come to school on time](http://angindianews.com/wp-content/uploads/2023/07/WhatsApp-Image-2023-07-18-at-10.57.36-AM-1024x576.jpeg)
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