पूर्णिया: कुमार शशिंद्र सिंह उर्फ मुखिया जी उर्फ चाचाजी का गुजरना एक युग का अंत होना है। छात्र आंदोलन के बाद भारतीय विपक्ष को मजबूती देने की बात हो, सामाजिक समरसता कायम करने की बात हो, सामान्य जनों के मनोरंजन के लिए मशहूर मुखिया मेला लगवाने, शैक्षणिक विकास के लिए प्राथमिक ,माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालय के निर्माण करने के साथ साथ सभी उम्र के लोगों से दोस्ती करने जैसे अनेकानेक महान कार्यों की सूची सामान्य बीरपुर वासियों के मानसपटल पर चलचित्र की भांति तैर रहा है। उक्त बाते डॉ सुधांशु कुमार ने कही।
उन्होंने कहा वे सदा अपने मन की बात की, जैसा चाहा वैसा जीया। एक अनूठा व्यक्तित्व के धनी मुखिया जी ने जो बुलंदियां हासिल की, वह अप्रत्याशित और अनुकरणीय है। उनके लिए बिल्कुल सटीक बैठता है”हजारों साल नार्गिसें अपनी बेनूरी रोती हैं, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दिदावर पैदा”। उनका जाना मेरी व्यक्तिगत क्षति है। दूर रहकर भी उनसे मेरी आत्मीयता मेरी यादगार धरोहर है।उनके निधन की खबर से स्तब्ध और मर्माहत हूं। उनकी आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूं,परिवार और स्वजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।
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