- जिस दिन विकास हो जाएगा, उसदिन से अपराध स्वतः कम होता चला जाएगा
- अपराधी एवं गांव के कुछ असामाजिक तत्वों के गठजोड से चलता है दियारा में उनका साम्राज्य
- मुखिया ने विकास की लकीरें खींचने की कोशिश जरूर की, परंतु वह उंट के मूंह में जीरा के फोरन समान है
- किसान राजेश यादव की हत्या के बाद आमआदमी की सुरक्षा के लिए कई सवाल खडे हो गए हैं
पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: सरकार देश की आजादी को लेकर अमृत महोत्सव जरूर मना रही है, परंतु आम आदमी आजभी अपनी सुख-सुविधा से काफी दूर है। यहां के दियारा में आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी विकास की गाडी एक इंच भी यहां नहीं बढ पायी है, जिसके कारण यहां के लोगों की जिंदगी अपराधियों, रंगदारों के रहमोकरम पर टिकी हुई है। यहां जिसदिन विकास हो जाएगा, उसदिन से अपराध स्वतः कम होता चला जाएगा। दियरा इलाकों में गांव के कुछ असामाजक तत्वों एवं अपराधियों के गठजोड का ही नमूना है कि आज यहां आएदिन हत्याएं, घटनाएं होती चली जा रही हैं। यहां पुलिसबल की भी काफी कमी है, जिससे पुलिस भी लोगों को सुरक्षा देने में परेशान रहती है। बैरिया से 2013 में पुलिस कैंप अगर नहीं हटाया जाता तो निश्चित ही अपराधी यहां फटकते तक नहीं और आज राजेश यादव जिंदा होते। टीकापट्टी थाना क्षेत्र के बैरिया गांव के किसान राजेश यादव की जबसे हत्या हुई है, तबसे लोगों के दिलां में कई तरह के प्रश्न यक्ष-प्रश्न बनकर घुमड रहे हैं। आजतक जितने भी यहां एमपी, एमएलए हुए, विकास का सब्जबाग तो दिखाया, परंतु किसी ने भी अपना वादा पूरा नहीं किया है। जीतने के पांच साल के बाद ही वे आते हैं तथा फिर से सब्जबाग एवं लोगों के बीच नफरत का बीज बोकर चले जाते हैं। पंचायतां में सरकार इतनी राशि देती नहीं है कि पंचायत का समुचित विकास हो सके।
बैरिया के बेरमा दियारा, लगभग पांच किलोमीटर चौडा एवं दस किलोमीटर लंबा है। इसमें अगर किसी अनजान व्यक्ति को छोड दिया जाए, तो शायद वह इससे निकल नहीं पाएगा। इस दियारा में विकास के लिए कडोडो रूपये चाहिए, जो पंचायत के बस की बात नहीं होगी। किसानों के हित को देखते हुए स्थानीय मुखिया अमीन रविदास ने लगभग चार सौ फीट सडक अपने निजी कोष से बनवा दिये, जिससे तत्काल किसानों को कुछ राहत जरूर मिली है, परंतु यह अस्थायी है। बाढ जैसे ही आएगी, यह सडक फिर से खत्म हो जाएगी। बैरिया गांव के दक्षिण एक कुडिया पोखर है, जिसपर पुलिया का बनना बहुत ही जरूरी है, परंतु फंड के अभाव में मुखिया द्वारा किसी प्रकार मिटी भरकर चालू करवाया गया है। इस संबंध में गोडियरपटी श्रीमाता पंचायत के मुखिया अमीन रविदास कहते हैं कि सरकार पंचायत को प्रयाप्त राशि उपलब्ध ही नहीं करा पाती है, ताकि यहां का समुचित विकास हो सके। उनसे जो भी बन पडता है, वे पंचायत के विकास के लिए काम करते रहते हैं। कुल मिलाकर दियारा इलाकों में जबतक विकास की गति नहीं पहूंचेगी, तबतक राजेश यादव जैसी घटनाएं होती रहेंगी।
![दियारा का विकास यक्ष-प्रश्न, 75 सालों से लोगों को इंतजार है विकास का Diyara's development Yaksh-Question, people have been waiting for development for 75 years](http://angindianews.com/wp-content/uploads/2023/05/20230508_094356-1024x576.jpg)
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