सहरसा, अजय कुमार: जिले के सुलिंदाबाद स्थित कार्यालय अन्नपूर्ण जीविका सीएलएफ, कहरा मे जीविका दीदियों द्वारा नशा के दुष्प्रभावों से संबंधित रंगोली बना कर नशा मुक्त परिवारों को प्रोत्साहन किया गया। साथ ही उक्त कार्यालय से राम टोला, शर्मा टोला, पासवान टोला से होते हुये उच्च विद्यालय,सुलिंदाबाद तक के लिए जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि शराबबंदी के पूर्व बिहार के समाज की तस्वीर कुछ अलग थी। शाम ढलते ही लोग शराब के ठेके पर लोगो की भीड़ जमा होने लगती थी। मजदूर दिनभर कम करने के बाद घर लौटने के पहले शराब के ठेके पर पहुँच जाते थे। शराब पीकर वे देर रात को खाली हाथ घर लौटते। घर मे इंतजार कर रही उसकी पत्नी और बच्चे जब घर का राशन मांगते तो इसके बदले वे उसके साथ लड़ाई-झगड़े और मारपीट करते थे। ये बातें आम हो गयी थी। 01 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराब बंदी लागू होने के बाद परंपरागत रूप से ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री से जुड़े परिवारों की रोजी-रोटी खत्म हो गयी थी। सरकार ने ऐसे परिवारों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था हेतु योजना तैयार की।
इस योजना का नाम ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ रखा गया। इसके अंतर्गत ऐसे परिवार जो, परंपरागत रूप से ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री के कार्य मे लगे थे। उन्हे स्थायी आजीविका गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। नशा मुक्ति अभियान को लेकर मध निषेध विभाग द्वारा 3722 ग्राम,टोलों को चिन्हित किया गया है। जहां वर्तमान में परंपरागत रूप से देशी शराब, जहरीली शराब की समस्या देखी गयी और शराब बनाने एवं पीने का प्रचलन अत्यधिक है। ऐसे ग्राम,टोलों मे जीविका तथा मध निषेध विभाग द्वारा संयुक्त रूप से 01 अप्रैल 2023 से 31 जुलाई 2023 तक सघन रूप से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। आज के इस कार्यक्रम मे मुख्य रूप से प्रबंधक संचार सुधा दास, रवि कुमार, बीपीएम बिनोद कुमार,रमेश कुमार, सरोज कुमार, बन्दना कुमारी, भोला कुमार, कौशल कुमार, रामरती देवी, रूपा कुमारी, पिंकी देवी, सोनम देवी, रिंकि देवी रंजना देवी सहित सेंकड़ों जीविका दीदी शामिल थी।