पूर्णिया: बिहार कृषि विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में गुरूवार दिनांक 15 फरवरी 2024 को तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण की शुरूआत की गई। पाठ्यक्रम समन्वयक डा॰ राधेश्याम ने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स फॉर मिलेटस वैल्यू चेन कार्यक्रम के अर्न्तगत मोटे अनाज की खेती को बढावा देने के लिए पूर्णियॉ जिले के तीस किसानों का चयन किया गया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जिला कृषि पदाधिकारी पूर्णियॉ श्री सुधीर कुमार कार्यक्रम में उपस्थित रहे। उन्होने अपने सम्बोधन भाषण में बताया कि आज के खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के परिपेक्ष्य में मोटे अनाज का बहुत अहम योगदान है। इन्ही कारणों से केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इसके उत्पादन व उत्पादकता को बढावा देने पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ साथ उन्होने इसके विभिन्न उत्पादो के विकास एवं प्रचार प्रसार की बातो पर बल दिया जिससे मूल्य संर्वधन कर किसान उचित लाभ प्राप्त कर सके।
कृषि महाविद्यालय के सह अधिष्ठाता सह प्राचार्य डा॰ पारसनाथ नें अपने उद्वबोधन में कहा कि मोटे अनाज को आज विष्व मोटे अनाज को श्रीअन्न, पोषक अनाज अथवा न्यूट्रीसीरियल्स के नाम से जानता है क्योंकि ये अनाज पोषण का भण्डार हैं मोटे अनाजो का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स बहुत कम होता है और यह मधुमेह, एनीमिया, रक्तचाप एवं पेट सम्बधी बिमारियों की रोकथाम में मददगार है।
कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य वैज्ञानिक मृदा विज्ञान डा॰ जनार्दन प्रसाद ने बनाया कि जलवायु परिवर्तन से खेती में दिन प्र्रतिदिन नई नई चुनौतियॉ सामने आ रही है और इन मोटे अनाज की खेती इसका एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योकि इसमें कम पानी में अच्छा उत्पादन देने की क्षमता होती है।
कार्यक्रम में उपस्थित सस्य विज्ञान विभागाध्यक्ष श्री एस॰पी॰ सिन्हा ने ने बनाया कि लगातार रसायनों के प्रयोग से मिट्टी की उपज क्षमता का हा्रस हो रहा है। जैविक खेती से मृदा स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है और पर्यावरण प्रदूषण को कम किया जा सकता हैं। आज के समय में रसायनों के दुष्प्रभाव को कम करने तथा मानव स्वास्थ्य के परिदृष्य में मोटे अनाज की खेती एक अहम माध्यम बन सकती है।
इस कार्यक्रम के विषय समन्वयक डा॰ राधेश्याम नें बताया कि महाविद्यालय में सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स फॉर मिलेटस वैल्यू चेन परियोजना संचालित की जा रही है। जिसमें वैज्ञानिकों की टीम पूर्णिया जिले में इसके प्रभेद एवं सस्य विधियों पर कार्यकर उत्पादकता वृद्धि पर लगातार प्रयासरत है। मडुवा की खेती कोसी क्षेत्र में बडे पैमाने पर की जानी है इसके अलावा बाजरा, चीना एवं सावा की खेती की भी अपार सम्भावनाएँ हैं।
तीन दिवसीय आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिन प्र्रषिक्षक वैज्ञानिकों ने मोटे अनाजो का मानव स्वास्थ्य में योगदान, मोटे अनाजो की जैविक उत्पादन तकनीकी, मोटे अनाजो के उन्नतषील प्रभेदव बीज उत्पादन तकनीकी समेकित पोषक तत्व प्रबन्धन विषयों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गयी एवं प्रक्षेत्र का भ्रमण भी कराया गया ।इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वन में डा॰ मिथलेस कुमार, डा॰ पंकज कुमार यादव, डा॰ सूरज प्रकाष, डा॰ अनुज कुमार चौधरी, ई॰ मोहन कुमार सिन्हा, सुश्री निधि कुमारी आदि की सक्रिय भागीदारी रही।
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