ना जल निकासी की कोई सुविधा और ना ही इसकी सूरत बदलने को किसी की चाहत ही बची है
पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: कहते हैं घर की हालत देखकर ही उसमें निवास करनेवाले का आधा परिचय हो जाता है। रूपौली मुख्यालय का चेहरा देखकर बाहर से आनेवाले लोगों को पता चल जाता है कि आजादी के 77 साल बाद भी यहां के जनप्रतिनिधियों का चरित्र कैसा रहा होगा, जो रूपौली को सजाने-संवारने का वादा तो करते होंगे, परंतु जीतने के साथ ही वे अपने सारे वादे भूल जाते होंगे। रूपौली मुख्यालय का थाना चौक गंदगी, जलजमाव, कीचड से इस तरह प्रभावित है कि इसओर से गुजरनेवाले लोगों को अपना नाक-मुंह बंद करके ही गुजरना होता है। दूर्भाग्य कहें कि इसी जगह पर बस स्टैंड भी है, जिससे प्रतिवर्ष बस स्टैंड के नाम पर लाखो रूपये की वसूली होती है, परंतु उसओर से भी इस दिशा में इस परिस्थिति से निजात पाने के लिए कोई कदम उठाया नहीं जाता है।
इतना ही नहीं इस जगह पर दर्जनों नाश्ता, फल, आदि की दुकाने भीं हैं, जहां उसपर इस कीचड से निकलकर उडती मक्ख्यिं लोगों को बीमार का न्यौता भी देती नजर आती हैं। जनप्रतिनिधियों के बारे में तो सर्वविदित है कि वे सिर्फ जीत के लिए वादे करते हैं, निभाने के लिए नहीं। कुल मिलाकर थाना चौक पर जमी कीचड एवं जलजमाव से उठती दुर्गंध इतना तो स्पष्ट करता है कि आमलोगों की चिंता किसी को नहीं रह गई है। देखें इस नर्क से कबतक लोगों को मुक्ति मिल पाती है।
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