सहरसा, अजय कुमार: श्री नारायण सेवा संस्थान द्वारा श्री भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन मंगलवार को भगवान नरसिंह अवतार से लेकर श्रीकृष्ण की बाललीला की अद्भुत व्याख्या कर श्रद्धालुओ का मन मोह लिया। श्रीमद्भागवत के कथावाचक पूज्य रामानयन जी महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण ने पहली बार करवट बदले तो उत्सव हुआ। दो माह के हुए तो भी उत्सव मनाया गया । इस बीच एक दिन कंस की भेजी पूतना अतिसुंदर रूप धारण कर नंद घर आई । संयोग से उस समय नंद बाबा वार्षिक कर देने मथुरा कंस के महल में गए थे ।पूतना चुपके से आई उसने पलने में सोए शिशु गोद मे उठा लिया।मथुरा से लौटते समय नंद बाबा अपने मित्र वसुदेव से मिल कर लौटे ।यहां यह दृश्य देख स्तब्ध रह गए । फिर पूतना के शरीर के टुकड़े कर उसका अंतिम संस्कार किया।श्रीकृष्ण ने शकट ( बैलगाड़ी) के रूप आकर शकटासुर का बध किया। कथा व्यास ने माखन चोरी लीला का विस्तार से वर्णन किया । बताया कि श्रीकृष्ण बड़े नटखट थे।एक बार मिट्टी खाते देखकर मां ने कृष्ण को पकड़ा, डंडा उठाया, मुख खुलाया तो उसमे उन्होंने पूरा ब्रह्मांड( त्रिभुवन )दिखा दिया। मां चकित रह गई । एक बार उनकी शरारतें देख मां ने उन्हे़ं ऊखल मे बांध दिया । वे सरकते हुए दो युगल पेंड़ो के मध्य चले गए ,उनके बीच ऊखल फंसा कर उन्होंने दोनो पेंड़ उखाड़ दिया। तो उसमे दो देवपुरुष प्रकट हुए।उन्होंने स्तुति की।
कुछ और बड़े हुए तो ग्वाल बालों के साथ गौ चराने वन में जाने लगे। तब अघासुर, बकासुर आदि राक्षसों का संहार किया । एक बार गेंद खेलते समय गेंद कालिया दह में गिर गया । श्रीकृष्ण गेंद निकालने के लिए कालिय दह में कूद पड़े । हाहाकार मच गया । गांव वाले जुट गए । यशोदा रोने लगी । इतने में कन्हैया कालिय नाग के सहस्र फनों पर नाचते पानी से निकले। एक बार नंदबाबा और ब्रज वासी इंद्र पूजा की तैयारी करने लगे । इंद्र का अहंकार तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने इंद्र के बजाय गोवर्द्धन पर्वत की पूजा कराई । नाराज इंद्र ने मूसलाधार वर्षा करदी । कई दिन तक पानी बरसा तो श्रीकृष्ण ने गोबर्द्धन पर्वत अपनी कनिष्ठिका उंगली पर उठा ली । उस समय गुप्त रुप से शेष नाग ने छाया कर दी । इस बीच आए अगस्त ऋषि ने सारा जल पीकर कृष्ण का साथ दिया । इस तरह कथा व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य कथा का भावमय संगीत के साथ रसास्वादन कराया और बीच बीच में विशेष भाव भी बताए । इस बीच भजनों की श्रृंखला ने मन मोह लिया ।इस अवसर पर संरक्षक डॉ नवनीत, सागर सिंह नन्हे आदि मौजूद थे।