- परिवार नियोजन में पुरुषों को ठोस रणनीति विकसित करने की जरूरत: सिविल सर्जन
- नवजात शिशुओं के लालन पालन के लिए महिलाओं का स्वस्थ्य होना अतिमहत्वपूर्ण: समन्वयक
- जागरूकता अभियान के दौरान अंतरा की पहली डोज़ लगाई गई: एमओआईसी
पूर्णिया : जनसंख्य स्थिरीकरण पखवाड़ा के अंतर्गत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पूर्णिया कोर्ट के कुष्ठ कॉलोनी स्थित मलिन बस्ती में एक रैली निकाली गई। स्थानीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रतिभा कुमारी की अध्यक्षता में प्राथमिक विद्यालय कुष्ट कॉलोनी में जागरूकता अभियान रैली का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्णिया कोर्ट स्थित यूपीएचसी की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रतिभा कुमारी, प्रधामध्यापिका विभा कुमारी, आंगनबाड़ी सेविका बेबी देवी, सहायिका गीता कुमारी, एएनएम रश्मि प्रभा, पूजा कुमारी, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएसआई इंडिया) के जिला प्रबंधक अय्याज अशरफी, प्रेम रंजन, जूली कुमारी सहित कुष्ठ कॉलोनी की दर्जनों महिलाएं एवं पुरुषों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
- परिवार नियोजन में पुरुषों को ठोस रणनीति विकसित करने की जरूरत: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि परिवार नियोजन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार करना है। बेहतर कार्यक्रमों में पुरुष परिप्रेक्ष्य और पुरुष जरूरतों को समझने और शामिल करने के लिए उसी तरह से ठोस रणनीति विकसित करनी होगी, जैसे- महिलाओं के दृष्टिकोण और जरूरतों पर ध्यान दिया जाता है। क्योंकि नियंत्रण के क्षेत्र में बदलाव से बचने के लिए, कार्यक्रमों का लक्ष्य केवल अधिक ही नहीं, बल्कि पर्याप्त पुरुष भागीदारी को शामिल करना होगा।
- नवजात शिशुओं के लालन पालन के लिए महिलाओं का स्वस्थ्य होना अतिमहत्वपूर्ण: समन्वयक
शहरी क्षेत्र के समन्वयक मोहम्मद दिलनवाज़ ने कहा कि बच्चों में 3 से 5 वर्षो का अंतराल रखने के लिए महिलाओं को पूरी तरह से स्वस्थ होना लाज़िमी है। क्योंकि जब तक महिलाएं स्वस्थ नहीं रहेगी, तब तक बच्चे का लालन पालन ठीक से नहीं कर पाएगी। अंतराल के बाद तंदरुस्त मां एक तंदरुस्त बच्चे को जन्म देगी। जिससे प्रसूता एवं नवजात शिशुओं में जोखिम की संभावना काफी कम हो जाती है। सभी तरह की महिलाओं को निर्णय का अधिकार, बच्चे कब हों और कितनी बार होना चाहिए।
- जागरूकता अभियान के दौरान अंतरा की पहली डोज़ लगाई गई: एमओआईसी
पूर्णिया कोर्ट स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रतिभा कुमारी ने बताया कि स्कूल परिसर में प्रधानाध्यापिका, शिक्षिका, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका के सहयोग से स्थानीय मुहल्ले में परिवार नियोजन पखवाड़ा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया। जहां दो दर्जन से अधिक कंडोम का वितरण किया गया। पांच महिलाओं को अंतरा की पहली डोज़ दी गई। साथ ही परिवार नियोजन से संबंधित जानकारी के साथ निःशुल्क दवा का वितरण किया गया। दरअसल महिलाएं इन सभी के साथ-साथ घर परिवार का भी ध्यान रखती हैं। इसलिए उन्हें निर्णय का आधिकार होना चाहिए, कि पहला बच्चा के बाद दूसरा बच्चे कब और कितने अंतराल पर होना चाहिए। जब भी दूसरा बच्चा होने की चाहत हो तो उसमें पति और पत्नी का आपसी तालमेल होना चाहिए। जिसमें पति का सहयोग पत्नी से ज्यादा होना चाहिए।
- योग्य दंपति की आपसी सहमति के बाद ही सुखी परिवार: पीएसआई
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएसआई इंडिया) के जिला प्रबंधक अय्याज अशरफी ने बताया कि योग्य दंपति की आपसी सहमति से ही आदर्श सुखी परिवार की कल्पना की जा सकती है। क्योंकि एक आदर्श सुखी परिवार वह होता है जो अभी तक परिवार में रहते हुए सुखी होते आ रहा है। आज भी वही सुखी है और भविष्य में भी सुखी रहेगा। सुखी परिवार में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, संस्कार एवं समृद्धि, को मजबूत बनाने के लिए परिवार नियोजन बेहद महत्वपूर्ण है।
![परिवार नियोजन पखवाड़ा: शहर के कुष्ठ कॉलोनी के मलिन बस्ती में परिवार नियोजन को लेकर चलाया गया जागरूकता अभियान Family planning fortnight: Awareness campaign on family planning in slums of leprosy colony of the city](http://angindianews.com/wp-content/uploads/2023/07/IMG-20230722-WA0002.jpg)
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