किसानों ने दस लाख की लागत से नदी में बना दी थी सडक, दियारा से ला रहे हैं मक्के की फसल
एप्रोच पथ पर कीचड भी एक तो करैला, उपर से नीम चढा वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है ।
अक्षय कुमार सिंह, पूर्णिया (ANG INDIA NEWS) : 73 सालों तक सरकार एवं यहां के जनप्रतिनिधियों ने डुमरी परिक्षेत्र के लोगों को ठेंगा दिखाया, इसके जवाब में पिछले दिनों यहां के किसानों ने अपनी किष्मत खुल लिख ली थी तथा डुमरी घाट पर दस लाख की लागत से नदी के गर्भ में ही सौ मीटर लंबी, पंद्रह फीट चैडी एवं चार फीट उंची ईंट की सडक बना, यह साबित कर दिया था कि वे किसी के मोहताज नहीं हैं, परंतु इधर भारी बारिष के कारण नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढने के साथ-साथ एप्रोच पथ पर कीचड होने के कारण किसानों के हौसले पस्त होते चले जा रहे हें ।
यह बता दें कि 73 सालों से यहां दर्जनों एमपी, एमएलए बने, सभीने लोगों से इस घाट पर पुल बनाने का सपना दिखाते हुए वोट लिया, परंतु सभी ठगते रहे । इस नदी के पार लगभग दो सौ हेक्टेयर में दियारा क्षेत्र फैला हुआ है, जिसमें मक्के की खेती होती है । जिसमें डुमरी एवं पुरानी नंदगोला गांवों के गा्रमीणों की जमीनें हैं । प्रायः जब बैषाख महीना आता है, तब पानी घटकर घुटने तक आ जाता है तथा किसान ट्रेक्टर से अपनी फसलें ले आते हैं । परंतु इसबार ऐसा नहीं हुआ । इनके द्वारा गहरे पानी में सडक बनाने के लिए एमपी-एमएलए से गुहार लगायी, परंतु सभी ने आंख एवं कान बंद रखे । थक-हारकर किसानों ने चंदा करके लगभग 15 फीट चैडी एवं चार फीट उंची नदी के गर्भ में सडक बना डाली है । परंतु अब भारी बारिष के कारण इस नदी में जलस्तर बढने लगा है तथा एप्रोच पथ कीचड से पट गया है, जिससे ट्रेक्टर ले जाने-आने में काफी कठिनाईयां होने लगी हैं । मौके पर गा्रमीण संजय समदर्षी, विषुनदेव जायसवाल, सखीचंद मंडल, परमानंद ठाकुर, नरेष निशाद, नारायण सिंह, विनोद यादव, रूद्रनारायण मंडल, उजागर सिंह, अनिल मंडल, सिकंदर सिंह, गुडु कुमार, बबलु यादव, गुंजन कुमार, मनोज कुमार, निवास कुमार आदि ने बताया कि उनके दुख के साथ ना तो सरकार खडी है और ना ही यहां के एमपी-एमएलए या मुखिया सहित पंचायतीराज के जनप्रतिनिधि ही खडे हैं । अब सबसे परेषानी का आलम है कि लेट से जलजमाव के कारण खेती होने से अभी भी मक्के की फसलें तैयार नहीं हुई हैं, जबकि पानी बढने लगा है । इस परिस्थिति में अगर जिलाधिकारी यहां ह्यूम पाईप भी लगा देती तो षायद उनका कल्याण हो जाता । यहां अभी अगर दस ह्यूम पाईप लगा दिया जाए, तोनिष्चित ही किसानों का बाढ आने से पहले अनाज उनके घर तक आ जाएगा । कुल मिलाकर यहां के किसानों के हौसले अब बढ रहा नदी का जलस्तर पस्त करने लगा है, देखें हमेषा ही विकास-विकास का रट लगानेवाली सरकार कबतक इस नदी पर पुल बनाती है । इधर इस संबंध में डीएम से संबंध स्थापित किया गया,परंतु संबंध स्थापित नहीं हो पाया ।
डुमरीघाट पर पुल बनने से लगभग डेढ लाख लोगों का आवागमन होगा सुलभ:-
टीकापटी थाना क्षेत्र एवं मोहनपुर ओपी क्षेत्र को जोडनेवाला यह डुमरी घाट, लगभग डेढ लाख की आवादी को सीधा जोडता है । इससे लगभग दो दर्जन गांव के लोग सीधा जूडे हैं । यह घाट प्रखंड के दक्षिणी इलाके में है, जहां लगभग बीस किलोमीटर दूर तक इस कारी नदी पर कोई पुल नहीं है ।
पुल से अपराध पर लगेगा लगाम:-
डुमरी घाट पर पुल बनने से इस नवगछिया जिला पुलिस सीमा को जोडनेवाले इस क्षेत्र में अपराध पर सीधा लगाम लगेगा । यह सर्वविदित हो कि जबभी फसल तैयार होती है, यहां के अपराधी सक्रिय हो जाते हैं तथा फसल से रंगदारी आदि की घटनाओं को अंजाम देते हैं । इसके अलावा जमीन विवाद में अपराधी हस्तक्षेप करते हैं तथा वे एक पक्ष से जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए आएदिन गोलियों से इस क्षेत्र में दहषत फैलाने से नहीं चूकते हैं । इस परिस्थिति में यहां पुलिस की गस्ती आसानी से हो सकेगी ।
विधायक बीमा भारती के मंत्री बनने के बाद भी नहीं हुआ कोई फायदा:-
जब विधायक बीमा भारती बनीं थीं तब यहां के लोगों में यह कहावत घर कर गई थी कि सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का । लोगों नेसमझा कि अब जो दुख सहे, बहुत हुआ, अब उनका उद्धार हो जाएगा । हरजगह सडकों के साथ-साथ पुल-पुलियां बन जाएंगी, परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ । सिर्फ आष्वासन ही मिलता रहा है ।
घाट तक सडक की जमीन खतियान में है
घाट तक जाने के लिए सडक भी है तथा पुल के लिए जमीन भी है । बस इतना है कि यह नक्सा में नहीं है, परंतु खतियान में यह सडक काफी चैडी भी है । इसी तरह की जमीनपर घाट से लगभग डेढ किलोमीटर दूर मंझोडीह गांवतक प्रधानमंत्री ग्राम सडक का निर्माण हो चूका है, प्रषासन सभी को बेवकूफ बना रहा है ।