पूर्णिया: नहीं रहे गौरीशंकर सिंह पूर्वोत्तरी.73 वर्षीय गौरीशंकर सिंह पूर्वोत्तरी, सेवानिवृत्त स्टेशन प्रबंधक रहे हैं और पूर्वोत्तर रेलवे में सेवारत रहने के कारण उन्होंने अपने नाम के साथ ही धारण कर लिया था साहित्यक उपनाम पूर्वोत्तरी। साहित्य साधना में लगे राष्ट्रभक्ति की पराकाष्ठा इनके साहित्य और संस्कार में था। रजनी चौक स्थित साहित्यक चौपाल ‘चटकधाम’ इनसे गुलज़ार होता था और नवोदित कवि कथाकारों को इनसे सम्बल और सम्मान मिलता था। कल बुजुर्ग समाज पूर्णिया के द्वारा आयोजित गांधी शहादत दिवस पर हम सबों की मुलाकात हुई थी। समाजसेवा और राष्ट्र सेवा के क्षेत्र में उनसे हमेशा मार्गदर्शन मिलता था। उनका अचानक गुजर जाने से समाज और साहित्य की अपूरणीय क्षति हुई है जिसे तत्काल भरा जाना मुश्किल है। ब्रह्म मुहुर्त में उनका निधन हो जाना ईश्वर के चरण और शरण में जगह मिलना बताया जा रहा है।
शहरवासी ऐसी बेहद दुखद खबर सुनकर हतप्रभ रह गये। उनके अंतिम दर्शन का सिलसिला जारी है। उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में प्रमुख नाम है:विजय नन्दन प्रसाद, डॉ शंभू लाल वर्मा, डॉ संजय कुमार सिंह, डॉ रामनरेश भक्त, डॉ कमल किशोर चौधरी, गिरिजा नन्द मिश्र, अविनाश कुमार, मनोज कुमार सिंह, रंजीत तिवारी, जय कुमार सिंह, सत्यदेव प्रसाद,बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष नित्यानंद कुँवर, अशोक कुमार सिंह,एम एच रहमान,भोला चौधरी, पंकज कुमार, डॉ निरूपमा राय, डॉ निशा प्रकाश, एडवोकेट किरण सिंह, अनन्त लाल यादव, नन्द किशोर जायसवाल, राजेश कुमार शर्मा, जिला भाजपा अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह, राम सेवा संघ के राणाप्रताप जी, वार्ड पार्षद आतिश सनातनी, उत्तर बिहार प्रांत गुरुकुल प्रकल्प प्रमुख संजय कुमार सिंह, सुनिल समदर्शी, गोविन्द प्रसाद दास, अतुल मलिक अनजान,मंजूला उपाध्याय मंजूल समेत अनेकों संस्थाओं और व्यक्तित्वों द्वारा उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सम्पूर्ण साहित्य समाज मर्माहत व शोकाकुल है।
कल दि 1 फरवरी को उनका अंतिम (अग्नि संस्कार) महादेवपुर गंगा तट पर होगा दो पुत्र और एक पुत्री के साथ एक भरा पूरा संसार छोड़ वे सांसारिक जीवन को छोड़ चले। उन्हें शत् शत् नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि।
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